काशी के पंचांगों में एकरूपता के लिए किये जा रहे प्रयास के तहत शनिवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग में ज्योतिषि शास्त्र के जानकार और पंचांगकार आदि शामिल हुए. इस बैठक में लम्बी चर्चा के बाद कहा गया कि विक्रम संवत 2082 यानी 2025 के अन्य व्रत पर्वों में कोई विभेद नहीं है. मतलब अधिकतर विभेद के मसले सुलझा लिये गये. अब अगली होली और विजयादशमी पर्व के लिए कुछ प्रमाण वचनों के अभाव में निर्णय को अग्रिम बैठक के लिए स्थगित कर दिया गया. अब अगली बैठक में चर्चा के बाद इन दो पर्वों की तिथि का निर्धारण किया जाएगा.
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ज्योतिषशास्त्र, धर्मशास्त्र और सनातन परम्परानुसार समाज के धर्ममूलक स्वरूप को संरक्षित करने के लिए काशी से प्रकाशित पंचांगों के व्रत, पर्वों में धर्मशास्त्रीय आधार पर एकरूपता स्थापित करने के लिए प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय की अध्यक्षता में बैठक हुई. इसमें काशी से प्रकाशित होने वाले विभिन्न पंचांगों के संपादक, ज्योतिष शास्त्र के आचार्य और धर्मशास्त्र के विशिष्ट विद्वान उपस्थित रहे.
व्रत, पर्वों में अंतर से बढ़ रही अनास्था और अविश्वास
स्वागत भाषण और विषय स्थाना करते हुए पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाण्डेय (समन्वयक-विश्वपंचांग) ने कहा कि विगत वर्षों में काशी से प्रकाशित होने बाले पंचांगों में व्रत, पर्वों में अंतर बढ़ता जा रहा है. इससे समाज में भ्रम एवं ज्योतिष के प्रति अनास्था और अविश्वास बढ़ता जा रहा है. इसीलिए उन में समरूपता स्थापित करने के लिए इस बैठक को पुनः आहूत की गई है. बैठक में काशी से प्रकाशित होने वाले सभी मुख्य पंचांगों के संपादक उपस्थित रहे. इस दौरान संवत 2082 में प्रकाशित होने वाले पंचांग के व्रत पर्वों पर विस्तृत चर्चा हुई. मुख्य रूप से वसंतिक नवरात्र में महानिशा पूजा, मेष संक्रांति का पुण्यकाल, परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया, गंगासप्तमी, सीता नवमी, जन्माष्टमी, कुशोत्पतिनी अमावस्या, मकर संक्रांति का पुण्यकाल, आषाढ़ कृष्ण एकादशी, ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के संदर्भ में चर्चा हुई. इस पर सर्वसम्मति से निर्णय लिये गये. वर्ष 2025 की होली और विजयदशमी में कुछ प्रमाण वचनों के अभाव में निर्णय को अग्रिम बैठक के लिए स्थगित किया गया. इसके अतिरिक्त संवत 2082 के अन्य व्रत पर्वों में कोई विभेद नहीं है.
चर्चा में यह रहे शामिल
बैठक में गणेश आपा पंचांग और हृषिकेश पंचांग के संपादक विशाल उपाध्याय एवं शिवमूर्ति उपाध्याय, महावीर पंचांग के संपादक डॉ. रामेश्वर ओझा, अन्नपूर्णा पंचांग के संपादक डॉ. श्रीकांत तिवारी, शिव गोविंद पंचांग के संपादक सदानंद, पंचांग गणितकर्ता अमित मिश्रा, काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित विश्व पंचांग के संपादक प्रोफेसर गिरजा शंकर शास्त्री, धर्मशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. शंकर कुमार मिश्र, काशी विद्वत् परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी, ज्योतिष विभाग के प्रो. रामजीवन मिश्र, डा. सुशील कुमार गुप्ता, डा. रामेश्वर शर्मा, विश्व पंचांग के सह संपादक, डा. अजय कुमार पाण्डेय, डा. मोहन कुमार शुक्ल, डा. सुनील कुमार चतुर्वेदी, सहित अनेक छात्रगण सम्मिलित हुए. इस बैठक के सभी निर्णय प्रो रामचंद्र पाण्डेय की अध्यक्षता और मार्गदर्शन में लिए गए.