RSS प्रमुख मोहन भागवत को आतंकियों की लिस्ट में डालना चाहती थी यूपीए सरकार

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मॉनसून सत्र से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को लेकर कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो विपक्ष को बैकफुट पर धकेल सकते हैं और सत्ता पक्ष उसे घेरने में कोई असर नहीं छोड़ेगा। टाइम्स नाउ चैनल के मुताबिक, यूपीए सरकार मोहन भागवत को आतंकियों की लिस्ट में शामिल करना चाहती थी। भागवत को हिंदू आतंकवाद के जाल में फंसाने के लिए कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार के के मंत्री कोशिश में जुटे थे

यूपीए सरकार ने अजमेर और मालेगांव ब्लास्ट के बाद हिंदू आतंकवाद की थ्योरी दी थी। इसी को आधार बनाकर यूपीए सरकार मोहन भागवत को फंसाना चाहती थी और इसके लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के आला अधिकारियों पर दबिश भी बनाई जा रही थी।

बता दें कि यूपीए सरकार ने अजमेर और मालेगांव ब्लास्ट के बाद हिंदू आतंकवाद थियोरी पेश की थी। इस दौरान कांग्रेस ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी पर दवाब बनाया ताकि मोहन भागवत को एक रणनीति के तहत फंसाया जा सके। इतना ही नहीं, तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे भी इस रणनीति में शामिल थे और भागवत को पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में लेना चाहते थे।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, साल 2014 में पत्रिका कारवां में संदिग्ध आतंकी स्वामी असीमानंद का इंटरव्यू प्रकाशित हुआ था। असीमानंद के इस इंटरव्यू में आरएसएस प्रमुख भागवत को आतंकवादी हमले का प्रेरक बताया गया था। इसी को आधार बनाकर यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी पर भागवत को आतंकियों की लिस्ट में डालने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। हालांकि, यूपीए सरकार की यह कोशिश सफल नहीं हो पाई और उस वक्त एनआईए अध्यक्ष शरद यादव ने इटंरव्यू के टेप की फॉरेंसिक जांच कराने की बात कही थी। लेकिन जब मामला आगे बढ़ना शुरू हुआ तो इसे बंद कर दिया गया।

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