जीएसटी के दायरे में लाने पर भी कम नहीं होगी पेट्रोल की कीमत !

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पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को लेकर देश की जनता परेशान हैं। लगातार बढ़ रहे दामों ने जनता की कमर तोड़ दी है। बढ़ती महंगाई को कम करने के लिए जनता मांग कर रही है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। जीएसटी के दायरे में लाने पर सरकार की तरफ से कहा गया है कि अगर पेट्रोल-डीजल को इसके दायरे में लाया जाता है तो 28 फीसदी वाले स्लैब में रखा जाएगा उसके अलावा राज्य सरकारें वैट अलग से लगाएंगी।

केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर लेंगी फैसला

खबरों के मुताबिक ‘दुनिया में कहीं भी पेट्रोल-डीजल पर शुद्ध रूप से जीएसटी लागू नहीं है, इसलिए भारत में भी यह जीएसटी और वैट का मिश्रण होगा।’ जीएसटी से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाए जाने का समय राजनीतिक स्तर पर तय होगा, केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर यह फैसला करेंगी।

इतने रुपए वसूला जा रहा टैक्स

इस समय केंद्र 1 लीटर पेट्रोल पर 19.48 रुपये और डीजल पर 15.33 रुपये एक्साइज ड्यूटी वसूल रहा है। इसके ऊपर राज्य वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) लगाते हैं, जो अंडमान निकोबार में सबसे कम 6 फीसदी (सेल्स टैक्स) है और मुंबई में पेट्रोल पर सर्वाधिक 39.12 फीसदी है। तेलंगाना डीजल पर सर्वाधिक 26 फीसदी वैट वसूल कर रहा है। दिल्ली में पेट्रोल पर 27 फीसदी और डीजल पर 17.24 फीसदी वैट है। पेट्रोल पर कुल 45-50 फीसदी और डीजल पर 5-40 फीसदी टैक्स लगता है।

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जीएसटी में लाने पर राजस्व में आएगी कमी

अधिकारी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर अभी सर्वाधिक टैक्स दर से अधिक वसूली हो रही है और यदि इस पर केवल 28 फीसदी जीएसटी लगता है तो केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व में कमी आएगी।

उन्होंने आगे कहा, ‘केंद्र के पास राज्य सरकारों के राजस्व में आने वाली कमी को पूरा करने का पैसा नहीं है। इसलिए समाधान यह है कि इसे सबसे ऊंचे स्लैब में रखने के अलावा राज्य सरकारों को यह ध्यान रखते हुए वैट वसूलने की अनुमति दी जा सकती है कि कुल टैक्स मौजूदा दर से अधिक ना हो।’

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