मोदी ने आतंकवाद और पाक पर किया हमला, बोलें…
पाकिस्तान पर परोक्ष हमला करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसे देश आतंकवादियों को हथियार, पैसा तथा संचार सुविधाएं प्रदान करते हैं और उन्होंने मानवता को विनाश से बचाने के लिए सभी देशों से ‘अच्छे और बुरे आतंकवाद’ की सोच से ऊपर उठने का आह्वान किया।
मोदी ने सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम (एसपीआईईएफ) में भारत की रूस से नजदीकी तथा चीन के साथ मतभेद के संबंध में एक सवाल के जवाब में सीमा पार से आतंकवादियों के समर्थन की ओर इशारा करते हुए कहा, “आतंकवाद पर चल रही चर्चाओं पर गौर कीजिए।
आतंकवादी हथियार नहीं बनाते, कुछ देश उन्हें मुहैया करा रहे हैं। वे नोट नहीं छापते, लेकिन कुछ देश निश्चित तौर पर उन्हें यह मुहैया करा रहे हैं। उनके पास दूरसंचार प्रणाली और सोशल मीडिया भी नहीं है, कुछ लोग निश्चित तौर पर उन्हें यह मुहैया करा रहे हैं।”
मोदी ने कहा, “कुछ देश..अच्छा आतंकवाद, बुरा आतंकवाद, मेरा आतंकवाद, तुम्हारा आतंकवाद की बात करते हैं। उन्हें इस तरह की विचारधारा से बाहर निकलना चाहिए। यह मूल तौर पर मानवता और मानवता की सुरक्षा का मुद्दा है। तभी हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में सक्षम हो पाएंगे।”
भारत के सन् 1980 से आतंकवाद से जूझने की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि एक समय था, जब दुनिया को आतंकवाद के बारे में कुछ नहीं पता था। कुछ लोगों का सोचना था कि यह कानून एवं व्यवस्था से जुड़ा मसला है।
लेकिन बाद में लोगों को यह अहसास होना शुरू हुआ कि यह कानून एवं व्यवस्था से कुछ अधिक है और तब उन्होंने इसकी पहचान आतंकवाद के रूप में की। लेकिन अभी भी उनकी सोच है कि इससे उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा, “लेकिन 9/11 के बाद पूरी दुनिया को मालूम पड़ा कि आतंकवाद क्या है और यह कितना खतरनाक है। इसके लिए सीमा मायने नहीं रखती। इसका अपना कोई मुल्क नहीं है। जहां भी मानवता है, उसका विनाश करने के लिए आतंकवाद वहां मौजूद है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन हालात में समय की मांग है कि देश तथा मानवतावादी ताकतों को इसपर बहस शुरू करनी चाहिए और इस बुराई से लड़ने के लिए साथ आना चाहिए।
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फोरम में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की मौजूदगी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के समक्ष आतंकवाद को लेकर एक प्रस्ताव बीते 40 वर्षो से पड़ा है।
उन्होंने कहा, “आतंकवाद की परिभाषा पर अभी भी बहस हो रही है। आतंकवादी कौन है और किसे आतंकवादियों का समर्थक माना जाना चाहिए? दुनिया का विचार उनके बारे में क्या होना चाहिए। 40 वर्ष बीत गए। हर कोई चिंता जता रहा है, लेकिन प्रस्ताव पर कोई चर्चा नहीं हो रही।
मैं खुश हूं कि कल राष्ट्रपति पुतिन ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि रूस संयुक्त राष्ट्र में उस प्रस्ताव को उठाएगा।”
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