‘गैरों पे करम, अपनो पे सितम’ कर रही भाजपा !

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उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले एमएलसी के चुनाव का बिगुल बज चुका है। उत्तर प्रदेश में विधानपरिषद की 13 सीटों के लिया 26 अप्रैल को वोट डाला जाना है। सभी पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपना नामांकन भी कर दिया है। भाजपा ने 10 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, वही उसने एक सीट अपनी सहयोगी पार्टी अपनादल के लिए छोड़ा है। अपना दल की तरफ से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति आशीष सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा की तरफ से बाहर से आये नेताओं को अपना प्रत्यशी बना कर उनको रिटर्न गिफ्ट दिया है। तो वहीं दूसरी तरफ आयातित नेताओं को रिटर्न गिफ्ट के चक्कर में पार्टी के कई दिग्गजों को किनारे कर दिया गया है। पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी को एक बार फिर किनारे कर दिया गया है।

बीजेपी का रिटर्न गिफ्ट

सोमवार को भाजपा गठबंधन के सभी 11 प्रत्याशियों ने नामांकन कर दिया। विधानपरिषद की खाली हुई 11 सीटों में से संख्याबल के आधार पर 11 भाजपा के हिस्से में आई हैं। पार्टी ने दूसरे दलों से आये चार नेताओ को टिकट दिया है। भाजपा ने सपा छोड़ कर आने वाले बुक्कल नवाब,सरोजनी अग्रवाल और यशवंत सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं बसपा से आये ठाकुर जयवीर सिंह को पार्टी ने मैदान में उतारा हैं। यशवंत सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए अपनी सीट छोड़ी थी। सरोजनी अग्रवाल ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के लिए कुर्बानी दी थी तो वही ठाकुर जयवीर सिंह की सीट पर योगी के मंत्री मोहसिन रजा सदन भेजे गए थे। इन्ही कुर्बानियो का रिटर्न गिफ्ट इन नेताओं को मिला है।

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डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी पर नजर ही नहीं गई

संगठन के लोगों को भी मौका दिया गया है पर जिन नेताओ के नामो की सबसे ज्यादा चर्चा थी उनको टिकट नहीं दिया गया। ऐसे नामो में लक्ष्मीकांत बाजपेयी और बनारस से आने वाले श्यामदेव राय चौधरी का नाम सबसे ऊपर है। मेरठ से आने वाले डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी की पार्टी में एक साफ़ सुथरी छवि वाले तेज तर्रार नेता नेता की है। हालांकि 2017 के विधान सभा चुनाव में लक्ष्मीकांत बाजपेयी को मेरठ से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में उम्मीद थी की पार्टी उनको एमएलसी बनाकर सदन में भेजेगी। इसी तरह की चर्चा पिछले दिनों हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भी थी। पर अध्यक्ष पद से हटाए जाए के बाद लगातार हांसिये पर चल रहे बाजपेयी को इस बार भी किनारे कर दिया गया।

सपा बसपा एक साथ

दूसरी तरफ सपा और बसपा फिर से एक साथ चुनावी मैदान में है। सपा ने जहां प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को प्रत्याशी बनाया है वहीं राज्यसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले बसपा के भीम राव अंबेडकर को भी जिताने का बीड़ा उठाया है।कांग्रेस ने अपना कोई भी प्रत्यासी नहीं उतरा है ऐसे में सभी तेरहों सीटों पर प्रत्याशियों का निर्विरोध चुना जाना तय है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, ग्राम्य विकास राज्यमंत्री डॉ. महेंद्र सिंह, वक्फ राज्यमंत्री मोहसिन रजा और बसपा विधायक दल के नेता सुनील कुमार चित्तौड़ सहित 13 सदस्यों का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो रहा है।

पार्टी के दिग्गजों को भूल गई बीजेपी

खैर पार्टी के पदाधिकारियों ने अपने वफादारों को सदन भेज कर उनकी वफ़ादारी का इनाम दिया है पर कहीं ना कहीं बाहर से आये नेताओं को टिकट देने के चक्कर में पार्टी के कई दिग्गज नेताओ का टिकट काट दिया गया है। सुनने में आया है आज कल विधानसभा मार्ग पर “गैरों पर करम और अपनों पर सितम गाना” खूब सुना जा रहा।

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