“मस्जिदों और दरगाहों को मंदिर बताने पर खून-खराबा हो सकता है”, अजमेर शरीफ मामले को लेकर महबूबा मुफ्ती का बड़ा बयान
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताने से संबंधित याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. महबूबा ने चेतावनी दी कि मस्जिदों और दरगाहों को निशाना बनाने से समाज में खून-खराबा हो सकता है. उन्होंने पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी वजह से धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद पैदा हुआ और यह समाज में तनाव को बढ़ावा दे सकता है. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि दरगाहों और मस्जिदों को मंदिर बताने पर खून-खराब भी हो सकता है.
पूर्व सीजेआई को ठहराया जिम्मेदार
महबूबा मुफ्ती ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 1947 में मौजूद संरचनाओं की स्थिति वैसी की वैसी बनी रहेगी, लेकिन पूर्व सीजेआई के आदेश ने इन स्थानों के सर्वे का रास्ता खोला है, जिससे हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव की स्थिति बन सकती है.” महबूबा ने यह टिप्पणी पूर्व सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ के उस आदेश पर की, जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी थी.
महबूबा ने यह भी कहा कि हाल ही में संभल में हुई हिंसा उसी फैसले का परिणाम है. उन्होंने आरोप लगाया कि अब अजमेर शरीफ जैसे मुस्लिम धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाया जा रहा है, जिससे देश में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा फैलने का खतरा बढ़ गया है. महबूबा ने यह सवाल भी उठाया कि जो सांप्रदायिक हिंसा विभाजन के समय से जुड़ी यादों को ताजा कर रही है, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
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पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन ने भी इस याचिका पर विरोध जताया है. लोन ने कहा कि देश की प्राथमिकताएँ गलत दिशा में जा रही हैं. उन्होंने चिंता जताई कि जब हम 2025 की ओर बढ़ रहे हैं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का युग आ रहा है, तो समाज पीछे की ओर क्यों बढ़ रहा है? उन्होंने कहा, “हमें ईमानदारी से स्वीकार करना होगा कि हमने तकनीकी क्रांति में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं दिया है.”