यूपी के किसान टकटकी लगाये हैं आसमान की ओर
एक तरफ जहां देश के कुछ हिस्सों में बारिश कहर बन कर टूट रही है, वहीं दूसरी ओर यूपी के किसान आसमान की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं। इस उम्मीद में कि मेघा रानी किसानों पर रहम करेंगे और बरसेंगे।आधे से ज्यादा मानसून सीजन बीत चुका है लेकिन यूपी में किसान मेघा के बरसने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
ज्यादातर जिलों में सूखे की स्थिति बनी हुई है
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश में एक जून से अब तक हुई बारिश का आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले आधा है।
अगर यूपी की राजधानी लखनऊ पर नजर डालें तो पिछले साल के मुकाबले अब तक एक तिहाई बरसात हुई है। ज्यादातर जिलों में सूखे की स्थिति बनी हुई है। मौसम विज्ञानियों की मानें तो इस हफ्ते भी प्रदेश में बारिश के आसार कम ही हैं।
उत्तर प्रदेश के किसानों की आंखों से नींद ओझल हो चुकी है
बारिश न होने का नतीजा यह है कि अभी तक फसलों की बुवाई भी तय लक्ष्य के मुकाबले महज 36.73 प्रतिशत ही हुई है। इससे लगातार सूखे की ओर बढ़ रहे उत्तर प्रदेश के किसानों की आंखों से नींद ओझल हो चुकी है।
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उत्तर प्रदेश में 15 जून के आसपास से ही मॉनसून सीजन शुरू होता है। उसके बाद से ही धान की नर्सरी लगाने और अगैती धान की रोपाई का काम शुरू हो जाता है।
बाकी फसलों के लिए जुताई और बुवाई शुरू हो जाती है। इस बार बारिश न होने से अगैती धान की नर्सरी भी सूख गई है। किसानों को दोबारा कम समय वाली नर्सरी लगानी पड़ी। वहीं, रोपाई तो अभी तक करीब 37 प्रतिशत ही हो पाई है। कुल बुवाई और रोपाई भी इससे कम ही हुई है।
अब किसानों ने इंतजार करना भी खत्म कर दिया है
बारिश न होने से किसान डरे हुए हैं, कहीं पूरा सीजन सूखा न चला जाए। जैसे तैसे बुवाई भी कर लें तो भी सिंचाई कैसे होगी? लखनऊ के एक किसान ने बताया कि अभी तक तो किसान बारिश का इंतजार कर रहे थे, लेकिन मायूसी के चलते अब किसानों ने इंतजार करना भी खत्म कर दिया है। अब और इंतजार भी नहीं किया जा सकता। बुवाई तो करनी ही है और ऐसे में ट्यूबवेल का ही सहारा है। लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि खेतों की ट्यूबवेल से चाहे कितनी ही सिंचाई क्यों न कर लें लेकिन जो बात बारिश की है वो इन तरकीबों में नहीं है।
1 जून से 17 जुलाई तक जिलों में बारिश की स्थिति पर गौर करें तो खीरी, शाहजहांपुर, श्रावस्ती और बहराइच में समान्य से अधिक बारिश हुई है। करीब 120 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई थी। वहीं मथुरा, हाथरस, फर्रुखाबाद, एटा बलरामपुर में समान्य बारिश 80 से 120 प्रतिशत दर्ज की गई। जबकि आठ जिलों में 60 से 80 प्रतिशत बारिश ही हुई, और 27 जिलों में 40 से 60 प्रतिशत हुई। 31 जिलों में तो बारिश 40 प्रतिशत से भी कम हुई है।
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