मायावती ने भीमराव अम्बेडकर को अर्पित की श्रद्धांजलि, सतीश चंद्र मिश्रा रहे मौजूद, जानें महापरिनिर्वाण दिवस के बारे में

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हर वर्ष 6 दिसंबर को भारत के संविधान के रचयिता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए उनकी पुण्यतिथि पर महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है. उनके 67वें परिनिर्वाण दिवस के मौके यूपी की राजधानी लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार की सुबह भीमराव अम्बेडकर की तस्वीर पर पुष्पा अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान मायावती ने बसपा के संस्थापक कांशीराम को भी श्रद्धांजलि दी.

भीमराव अम्बेडकर को याद करते हुए मायावती ने कहा क‍ि उन्‍होंने भारत को बेहतरीन संविधान देकर देश-दुनिया में नाम रौशन किया. इस अवसर पर उनके साथ सतीश चंद्र मिश्रा और अन्य लोग मौजूद रहे.

इस मौके पर मायावती ने अपने ट्विटर हैंडल से कई ट्वीट किये. उन्होंने लिखा ‘देश को पूर्ण जनहितैषी, कल्याणकारी व समतामूलक संविधान देकर धन्य करने वाले परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को उनके परिनिर्वाण दिवस पर शत्-शत् नमन. उन्होंने हर मामले में बेहतरीन संविधान देकर भारत का नाम देश-दुनिया में जो रौशन किया है वह अनमोल। देश उनका सदा आभारी.’

मायावती ने लिखा ‘देश की सरकारें काश उस संविधान के पवित्र उसूलों के तहत कार्य करती तो यहाँ करोड़ों गरीब व मेहनतकशों को काफी मुसीबतों से कुछ मुक्ति मिल गई होती. संविधान के आदर्श को ज़मीनी हकीकत में बदलकर लोगों के अच्छे दिन लाने की ज़िम्मेदारी में विमुखता व विफलता दुखद, चिन्तनीय.’

मायावती ने लिखा ‘बाबा साहेब डा. अम्बेडकर का नाम आते ही संवैधानिक हक के तहत लोगों के हित, कल्याण, उनके जान-माल-मज़हब की सुरक्षा तथा आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ जीने की गारण्टी की याद आती है. अतः रोज़ी-रोटी, न्याय, सुख-शान्ति व समृद्धि से वंचित लोगों की सही चिन्ता ही उन्हें सच्ची श्रद्धाजलि.’

क्यों मनाते हैं परिनिर्वाण दिवस…

डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर, जिन्हें बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है. भीमराव अम्बेडकर को संविधान का जनक कहा जाता है. प्रत्येक वर्ष 6 दिसंबर के दिन भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. परिनिर्वाण का अर्थ है ‘मृत्यु पश्चात निर्वाण’ यानि मौत के बाद निर्वाण. परिनिर्वाण बौद्ध धर्म के कई प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में एक है. इसके अनुसार, जो व्यक्ति निर्वाण करता है, वह सांसारिक मोह माया, इच्छा और जीवन की पीड़ा से मुक्त रहता है. साथ ही वह जीवन चक्र से भी मुक्त रहता है. लेकिन, निर्वाण को हासिल करना आसान नहीं होता है. इसके लिए सदाचारी और धर्म सम्मत जीवन व्यतीत करना पड़ता है. बौद्ध धर्म में 80 वर्ष में भगवान बुद्ध के निधन को महापरिनिर्वान कहा जाता है.

Bhimrao Ambedkar Death Anniversary Mayawati

 

जानें भीमराव अम्बेडकर के बारे में…

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के छोटे से गांव महू में हुआ था. उनका परिवार मराठी था और मूल रूप से महाराष्‍ट्र के रत्‍नागिरी जिले के आंबडवे गांव से था. उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था. वे अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे. बाबा साहब का जन्म महार जाति में हुआ था, जिसे लोग अछूत और निचली जाति मानते थे. अपनी जाति के कारण उन्हें सामाजिक दुराव का सामना करना पड़ा. प्रतिभाशाली होने के बावजूद स्कूल में उनको अस्पृश्यता के कारण अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी.

Bhimrao Ambedkar Death Anniversary Mayawati

 

भीमराव अम्बेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया. इस समारोह में उन्‍होंने श्रीलंका के महान बौद्ध भिक्षु महत्थवीर चंद्रमणी से पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म को अपना लिया. अम्बेडकर डायबिटीज के मरीज थे. 6 दिसंबर, 1956 को दिल्‍ली में उनका निधन हो गया था. आज के दिन परिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है.

 

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