जानें, एक ही रात के लिए विवाह क्यों करते हैं किन्नर
किन्नरों के बारे में तो आप जानते ही हैं कि न तो पूरी तरह से पुरुष होते हैं न स्त्री, इसलिए इन्हें किन्नर या हिजड़ा कहा जाता है। किन्नर अविवाहित रहते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये भी शादी करते हैं और ताज्जुब की बात तो यह है कि यह शादी सिर्फ एक रात के लिए होती है और वह भी इनके अपने भगवान से।किन्नरों के भगवान कौन हैं, आपके मन में यह प्रश्न जरूर उठ रहा होगा तो आपको बता दें कि यह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं। यह हैं अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है।
महाभारत युद्ध से जुड़ी है कहानी
इरावन किन्नरों के भगवान कैसे बने और यह उनसे क्यों एक रात के लिए विवाह करते हैं, इसकी एक अजब कहानी है जो महाभारत के युद्ध से संबंधित है।
तमिलनाडु के कूवगाम मे होता है जश्न
किन्नरों की शादी का जश्न देखना है तो आपको तमिलनाडु के कूवगाम जाना होगा। यहां हर साल तमिल नव वर्ष की पहली पूर्णिमा से किन्नरों का विवाह उत्सव शुरु होता है, जो 18 दिनों तक चलता है।17वें दिन किन्नरों की शादी होती है। सोलह श्रृंगार किए हुए किन्नरों को पुरोहित मंगलसूत्र पहनाते हैं और इनका विवाह हो जाता है।
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विधवा की तरह विलाप करते हैं किन्नर
विवाह के अगले दिन इरावन देवता की मूर्ति को शहर में घुमाया जाता है और इसके बाद उसे तोड़ दिया जाता है। इसके साथ ही किन्नर अपना श्रृंगार उतारकर एक विधवा की तरह विलाप करने लगते हैं।
एक राजकुमार की होनी थीबलि
कथा है कि महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा की। इस पूजा में एक राजकुमार की बलि होनी थी। कोई भी राजकुमार जब आगे नहीं आया तो इरावन ने कहा कि वह बलि के लिए तैयार है। लेकिन इसने एक शर्त रख दी कि वह बिना शादी किए बलि नहीं चढ़ेगा।
श्री कृष्ण रखा मोहनी रूप
पांडवों के पास समस्या यह आ गई कि एक दिन के लिए कौन सी राजकुमारी इरावन से विवाह करेगी और अगले दिन विधवा हो जाएगी। इस समस्या का समाधान श्री कृष्ण ने निकाला। श्री कृष्ण स्वयं मोहिनी रूप धारण करके आ गए और उन्होंने इरावन से विवाह किया। अगले दिन सुबह इरावन की बलिदे दी गई और श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप किया। उसी घटना को याद करके किन्नर इरावन को अपना भगवान मानते हैं और एक रात के लिए विवाह करते हैं।