बच्चों का इस्तेमाल कर रहे नक्सली : संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र को ऐसी रपटें मिली हैं कि नक्सली संगठन छत्तीसगढ़ और झारखंड में सुरक्षा बलों से लड़ने के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही आतंकवादियों ने पिछले साल कश्मीर में 30 स्कूलों को जलाकर खाक कर दिया था।
हिंसा की घटनाओं से प्रभावित हो रहे बच्चे
गुटेरेस ने सशस्त्र संघर्ष में बच्चों पर अपनी वार्षिक रपट में कहा, “बच्चे हथियारबंद समूहों और सरकार के बीच विशेष रूप से छत्तीसगढ़ और झारखंड में हो रही हिंसा और जम्मू एवं कश्मीर में उपजे तनाव की घटनाओं से प्रभावित हो रहे हैं।”उन्होंने कहा कि सरकार की रपटों के मुताबिक, जम्मू एवं कश्मीर में हथियारबंद समूहों द्वारा 30 स्कूलों को जला दिया गया है या आंशिक रूप से नष्ट कर दिया गया है।
ये कहती है पिछले साल की रिपोर्ट
गुटेरेस ने कहा, “इसके अलावा, सरकारी रपटों में पुष्टि की गई है कि सुरक्षाबल बीते कई सप्ताह से चार स्कूलों का सैन्य इस्तेमाल कर रहे हैं।”गुटेरेस की 2016 की रपट में कहा गया है कि पिछले साल नक्सलियों या अन्य हथियारबंद समूहों द्वारा बच्चों के इस्तेमाल में कमी आई है और अब छह राज्यों की तुलना में सिर्फ दो राज्यों में ही इनका इस्तेमाल किया जा रहा है।
इन राज्यों में बच्चों का इस्तेमाल कर रहे नक्सली
संयुक्त राष्ट्र की 2015 की रपट में तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने कहा था कि नक्सलवादी बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में छह साल तक के बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
गुटेरेस की 2016 के दौरान के संघर्षो की रपट गुरुवार को सुरक्षा परिषद भेजी गई।रपट में सरकारों की तुलना में आतंकवादियों और अन्य हथियारबंद समूहों द्वारा बच्चों के शोषण के अधिक मामले हैं।रपट के मुताबिक, इस रपट में लगभग 4,000 मामलों को शामिल किया गया है, जिसमें 20 देशों की सरकारें और 11,500 से अधिक आतंकवादी संगठन शामिल हैं।
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गुटेरेस ने कहा, “मैं भारत सरकार से इन आतंकवादी संगठनों से बच्चों को बचाने के लिए उचित तंत्र विकसित करने का आग्रह करता हूं। मैं सरकार से किसी भी तरह की हिंसा से बच्चों को बचाने का भी आग्रह करता हूं।”
गुटेरेस ने कहा, “नक्सलियों और आतंकवादी समूहों के खिलाफ देश के सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे अभियानों में बच्चे लगातार मारे जा रहे हैं और घायल हो रहे हैं।”गृह मंत्रालय के मुताबिक, मुठभेड़ों में 213 लोगों की मौत हुई है, जबकि 2015 में यह संख्या 171 थी। लेकिन बच्चों की संख्या का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
आतंकियों के निशाने पर बच्चे
गुटेरेस ने कहा, “आतंकवादी समूहों ने लगातार बच्चों को अगवा किया और संगठन में बच्चों की भर्तियों के लिए बच्चों के परिजनों को धमकाया। इन बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाता है और खबरी या मुखबिर के तौर पर इनसे काम लिया जाता है।”गुटेरेस ने इस बात को चिंताजनक बताया है कि नक्सली छत्तीसगढ़ में कई स्कूल चला रहे हैं, और वे उसमें पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में बच्चों को लड़ाई का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
रपट में एक घटना का जिक्र किया गया है। पुलिस ने मार्च 2016 में झारखंड के गुमला जिले में ऐसे 23 बच्चों को सुरक्षा दी, जिन्हें आतंकवादी समूहों द्वारा अगवा किए जाने की धमकी मिली थी। इन बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराने में मदद की गई।कई अपुष्ट रपटों के मुताबिक, ऐसा हो सकता है कि पुलिस जवाबी कार्रवाई के लिए पहले इन हथियारबंद समूहों से जुड़े बच्चों का इस्तेमाल मुखबिर के तौर पर कर रही है।
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