अमर सिंह की किताब खोलेगी कई हस्तियों के राज!
वह न तो कोई शीर्ष के राजनेता हैं, न ही बॉलीवुड के मशहूर सितारे और उनकी गिनती देश के सबसे अमीर उद्योगपतियों में भी नहीं होती है। लेकिन फिर भी कई प्रकाशकों में उनकी जीवनी छापने की होड़ थी। यह दिलचस्प शख्स हैं राज्यसभा सांसद अमर सिंह।
कीमत उन्हें मिलेगी वह है पांच करोड़ रुपये
अब उनकी जीवनी छापने के लिए उनकी एक विदेशी प्रकाशक से करार हो गया है। और अपने जीवन से जुड़े राज सार्वजनिक करने की जो कीमत उन्हें मिलेगी वह है पांच करोड़ रुपये। यही नहीं, एक वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखी जाने वाली इस किताब पर फिल्म भी बनेगी जिसका नाम अभी से तय हो गया है – हरफनमौला।
मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी उनके छोटे भाई की तरह थे
आखिर प्रकाशकों को उनके जीवन में इतनी दिलचस्पी हो भी क्यों न! वे कई राजनेताओं, उद्योगपतियों और फिल्मी सितारों के सबसे करीब लोगों में जो शुमार रहे हैं। अमिताभ बच्चन उन्हें बड़ा भाई करार देते थे। मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी उनके छोटे भाई की तरह थे। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और चंद्रशेखर से लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव तक कई राजनेताओं के वे बहुत करीब रहे हैं।
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अमिताभ बच्चन को दीवालिया होने से उन्होंने बचाया था। अनिल अंबानी को उत्तर प्रदेश में पॉवर प्रोजेक्ट लगाने में राजनीतिक मदद उन्होंने की। 2008 में भारत की अमेरिका के साथ सिविल न्यूक्लियर डील कराने और वाम दलों के समर्थन वापस लेने के बाद मनमोहन सिंह सरकार को बचाने तक में उनकी बड़ी भूमिका थी। यही नहीं 1999 में वाजपेयी सरकार के एक वोट से गिर जाने के बाद सोनिया गांधी के विदेशी मूल के सवाल पर उन्हें प्रधानमंत्री न बनने देने में भी अमर सिंह को रोल था।
पिछले साल वे दोबारा पार्टी से निष्कासित कर दिए गए
लेकिन पिछले कुछ सालों से वे लाइमलाइट से बाहर हो गए थे। समाजवादी पार्टी की अंदरूनी लड़ाई की वजह उन्हें करार किया गया। पिछले साल वे दोबारा पार्टी से निष्कासित कर दिए गए।
इससे पहले 2011 में उन्हें सपा से निकाल दिया गया था। लेकिन हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में एक समारोह में अमर सिंह का नाम लेकर उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता बहाल कर दी।
उद्योगपति ऐसा नहीं है जिसने उनके घर में जाकर साष्टांग दंडवत न किया हो
मोदी ने कहा – हम लोग उनमें से नहीं है जो उद्योगपतियों के बगल में खड़े होने से डरते हैं वरना कुछ लोगों को आपने देखा होगा जिनकी एक फोटो आप किसी उद्योगपति के साथ आप नहीं निकाल सकते। लेकिन इस देख का कोई उद्योगपति ऐसा नहीं है जिसने उनके घर में जाकर साष्टांग दंडवत न किया हो। यहां अमर सिंह बैठे हैं, वो सारी हिस्ट्री निकाल देंगे।
अमर सिंह का कहना है कि इसके बाद से उनके पास राजनेताओं, उद्योगपतियों, नौकरशाहों और फिल्मी सितारों के फोन की संख्या बढ़ गई है। वरना गुर्दे के प्रत्यारोपण और सपा से निष्कासन के बाद से लोगों ने किसी हद तक बेरुखी अपना ली थी। खासतौर पर 2008 में मनमोहन सरकार को बचाने के लिए कैश फॉर वोट मामले में भाजपा सांसदों को घूस देने के आरोप में जेल जाने के बाद।
राजनीतिक और सामाजिक सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा
उन्हें न तो अपने को राजनीतिक दलाल कहलाने में कभी एतराज रहा और न ही जातिवादी की संज्ञा मिलने पर। बहुत से हीरो, हीरोइनों, उद्योगपतियों, नेताओं के साथ बातचीत के ऑडियो टेप सार्वजनिक हुए, लेकिन अमर सिंह की राजनीतिक और सामाजिक सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उनका मानना है एनी पब्लिसिटी इज गुड पब्लिसिटी। जाहिर है किताब में बहुत सा मसाला होगा। विवाद उठ खड़े होंगे। अमर सिंह तो नहीं लेकिन बहुत से वे लोग जरूर चिंतित होंगे जिनके राज इस किताब से सार्वजनिक हो जाएंगे।साभार
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