मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू की साख दांव पर, भारत की भी रहेगी नजर
मालदीव में रविवार का दिन राष्ट्रपित मोहम्मद मुइज्जू के लिये काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाली है. मालदीव में चौथे बहुदलीय संसदीय चुनाव के लिए मतदान होगा, जिसमें पहली बार राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण नीति के फैसले की परीक्षा होगी. खासकर मुइज्जु द्वारा हिंद महासागर द्वीपसमूह से भारतीय सैन्य कर्मियों को बाहर निकालने के फैसले की भी परीक्षा होगी. सूत्रों के अनुसार वहा की मुख्य विपक्षी और भारत समर्थक पार्टी – मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) बहुमत हासिल कर सकती है. इस चुनाव के नतीजों पर भारत और चीन सरकार की भी नजर रहेगी.
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घरेलु और विदेशी नीतियों में विफल रही है सरकार
MDP के नेता और पूर्व विदेश मंत्री, अब्दुल्ला शाहिद ने बताया कि उनकी पार्टी जीत को लेकर आशावादी है. उन्होंने दावा किया है कि मुइज़ू प्रशासन पिछले 5 महीनों में घरेलू और विदेशी दोनों नीतियों में विफल रहा है और मालदीव के लोग भी यह देख रहे हैं. उनकी देखरेख में लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है. उन्होंने कहा कि देश की जनता उनकी पार्टी के पक्ष में वोट डालेगी.
झूठ और नफरत फैलाकर पाई है सत्ता
इसके अलावा शाहिद ने राष्ट्रपति मुइज्जू और उनकी सरकार पर ढेर सारे गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि मुइज्जू झूठ और नफरत फैलाकर सत्ता में आए और सभी विकास परियोजनाएं को तुरंत रोक दिया गया. विपक्ष के हजारों लोगों को नौकरी से निलंबित करने और बर्खास्त करने की धमकी दी गई है. राजनीतिक संबद्धता के आधार पर आवश्यक सेवाओं की डिलीवरी को प्रतिबंधित करने की मांग की जा रही है.
भारत के विरोधी रहे हैं मुइज्जू
राष्ट्रपति मुइज्जु ने प्रचार के दौरान ही भारत विरोधी सुर अख्तियार किया था. उन्होंने वादा किया था कि सरकार में आने के बाद वह भारत के सैनिकों को मालदीव से हटाने का फैसला करेंगे. उनके और उनकी पार्टी द्वारा भारत को लेकर प्रोपागेंडा फैलाने का आरोप विपक्षी पार्टी वाले नेता अक्सर लगाते रहते हैं. बता दें कि अक्सर चीन समर्थक नेता के रूप में जाने जाने वाले मुइज्जू ने पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में अपने एमडीपी पूर्ववर्ती इब्राहिम सोलिह को हराया था. तबसे उनके द्वारा तमाम फैसले चीन के पक्ष में लिये गये हैं. हाल ही में मीडिया खबरों में दावा किया गया था कि चीन की सेना की मौजूदगी मालदीव में देखी गई है. हालांकि इसपर सरकार ने कहा था कि चीनी सेना केवल संयुक्त अभ्यास के लिये महाद्वीप देश में पहुंची थी