बड़ी पहलः 1 जुलाई से आधार के लिए फेस ऑथेंटिकेशन की भी सुविधा
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार सत्यापन के लिए उंगुलियों के निशान तथा आंखों की पुतलियों के अतिरिक्त चेहरे की पहचान को भी शामिल करने की अनुमति दे दी है। दरअसल, यह व्यवस्था उन लोगों की सुविधा के लिए की जा रही है जिन्हें उपर्युक्त दोनों तरीकों से आधार ऑथेंटिकेशन में दिक्कत होती है। नया फीचर 1 जुलाई से लागू हो जाएगा।
बुढ़ापे या कठिन कार्य करते रहने की वजह से समस्या आती है
उम्मीद की जा रही है कि रजिस्टर्ड डिवाइसेज पर ऑथेंटिकेशन के मौजूदा साधनों- उंगली के निशान और आंख की पुतलियों- के साथ चेहरे की पहचान का विकल्प जुड़ जाएगा। इतना तो स्पष्ट है कि चेहरे की पहचान वाला फीचर फिंगरप्रिंट, आइरिश या ओटीपी में से किसी एक के साथ ही आएगा। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने यूआईडीएआई के हवाले से बताया, ‘यह सुविधा उन लोगों के समेकित सत्यापन में मदद करेगी जिनके बोयोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन में फिंगरप्रिंट की दिक्कतों, बुढ़ापे या कठिन कार्य करते रहने की वजह से समस्या आती है।’
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इनके अलावा, जरूरत के आधार पर भी नई सुविधा पाने की अनुमति दी जाएगी। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने भरोसा दिलाया था कि आधार सिस्टम में स्टोर फिंगरप्रिंट और आइरिश डेटा पूरी तरह सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा था, ‘(आधार) सिस्टम में मेरी उंगलियों के निशान और आंखों की पुतलियों के रिकॉर्ड सुरक्षित तरीके से रखे हैं। करोड़ों कोशिशों के बावजूद इनकी सुरक्षा में सेंध नहीं लगाया जा सकता। यह एक भारतीय तकनीक है।’
आधार नंबर साझा करने की जरूरत नहीं रह जाएगी
कानून मंत्री का यह बयान इसलिए भी बहुत मायने रखता है क्योंकि थोड़े दिनों पहले ही आधार डेटा में बड़ी सेंध लगने के आरोप लगे थे। बहरहाल, यूआईडीएआई ने आधार की सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं दूर करने के लिए हाल ही में 16 अंकों का ‘ वर्चुअल आईडी ‘ लाने का ऐलान किया। वर्चुअल आईडी को वेबसाइट से जेनरेट कर सिम वेरिफिकेशन से लेकर विभिन्न जरूरतों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। वर्चुअल आईडी बना लेने के बाद सत्यापन के लिए वास्तविक आधार नंबर साझा करने की जरूरत नहीं रह जाएगी।
nbt
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