भीमा कोरेगांव हिंसा : दलित नेताओं के घर ताबड़तोड़ छापे से हड़कंप
महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में मंगलवार को कई शहरों में प्रसिद्ध दलित नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ छापे मारे। पुलिस ने तड़के पांच बजे से छापा मारने की कार्रवाई शुरू की। पुणे पुलिस के कई समूहों ने मुंबई, पुणे और नागपुर में कई दलित कार्यकर्ताओं के घरों और कार्यालयों में छापे मारे। पुलिस ने पिछले वर्ष 31 दिसंबर को हुई यलगार परिषद में संलिप्त या संबंधित लोगों के खिलाफ भी सख्त रवैया अपनाया है।
इन नेताओं के खिलाफ छापेमारी
यलगार परिषद को गुजरात के दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवाणी, उमर खालिद, छत्तीसगढ़ की समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और भीम आर्मी के अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने संबोधित किया था। पुणे पुलिस ने नागपुर में वकील सुरेंद्र गडलिंग के घर पर भी छापा मारा और तलाशी ली। गडलिंग विभिन्न न्यायालयों में कई कथित नक्सलियों का केस लड़ रहे हैं। पुलिस ने यलगार परिषद के संबंध में वामपंथी संगठन कबीर कला मंच और रिपब्लिकन पैंथर्स पार्टी के परिसरों के साथ ही रमेश गेचर और सागर गोरखे जैसे नेताओं के खिलाफ छापे मारे।
Also Read : संसदीय समिति ने उर्जित पटेल को किया तलब
धीर धवाले और हर्षाली पोटदार के आवासों पर छापे
पुलिस ने मुंबई में वामपंथी कार्यकर्ताओं जैसे सुधीर धवाले और हर्षाली पोटदार के आवासों पर छापे मारे। पुलिस के पास इन सभी स्थानों पर छापे के लिए तलाशी वॉरंट थे। पुलिस की कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय रिपब्लिकन पार्टी बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने इसे सरकार की ‘उत्पीड़न और ध्यान भटकाने वाली रणनीति’ बताया। उन्होंने कहा, ‘सरकार भीमा-कोरेगांव हिंसा भड़काने के मुख्य आरोपी संभाजी भिड़े ऊर्फ गुरुजी को गिरफ्तार करने के स्थान पर इस तरह के ध्यान भटकाने वाली कार्रवाई कर रही है।’
सरकार दलितों का कर रही उत्पीड़न
संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर के परपोते प्रकाश आंबेडकर ने कहा, ‘पुलिस ने मिलिंद एकबोटे को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन अभी तक भिड़े को गिरफ्तार नहीं किया गया है।’ बता दें कि इस साल एक जनवरी को भीमा कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर पुणे के शनिवारवाड़ा में दलित संगठनों ने यलगार परिषद आयोजित किया था। इस आयोजन को लेकर दो पक्ष आपस में भिड़ गए थे, जिसके बाद पूरे शहर में हिंसा फैल गई थी और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।