जानें, इस्तीफा हुआ तो कौन बनेगा महाराष्ट्र का सीएम?
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथ में है सीट
यह जग जाहिर है कि महाराष्ट्र Maharashtra के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। साथ ही लॉकडाउन की वजह से अभी न Maharashtra विधानसभा के चुनाव हो पायेंगे और न विधानपरिषद के। इस नाते पहले उद्धव ने सोचा था कि वे चुनाव लड़कर या फिर विधानपरिषद के सदस्य बनकर Maharashtra के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज रहेंगे पर ऐसा होता मुमकिन नहीं दिख रहा।
अब एकमात्र रास्ता बचा है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अगर अपने कोटे की सीट से उन्हें विधानपरिषद के सदस्य बना दें, जिसके लिए मंत्रिमंडल ने सिफारिश भी है, तो Maharashtra के मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। अभी राज्यपाल ने कोई निर्णय नहीं किया है। इस बाबत उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री से भी बात की है। फिलहाल कयासबाजियों का दौर जारी है।
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तो कौन संभालेगा पद?
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस्तीफा हुआ तो Maharashtra में सत्ता कौन संभालेगा। यह सही है कि मुश्किल में फंस गई है उद्धव ठाकरे की कुर्सी।
उद्धव ठाकरे की दिक्कत यह है कि बिना चुनाव लड़े सीएम बने उद्धव ठाकरे अभी तक विधानमंडल के सदस्य नहीं हैं। कोरोना के कारण Maharashtra में कोई चुनाव नहीं होने वाले हैं, ऐसे में अब उनकी कुर्सी सिर्फ राज्यपाल ही बचा सकते हैं। ऐसे में इस बात की भी चर्चा शुरू हो गई है कि अगर उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना ही पड़ा तब क्या होगा? हो सकता है कि शिवसेना कुछ समय के लिए किसी और को सीएम बनाए और कुछ दिन बाद जब उद्धव ठाकरे फिर से चुनकर आएं तो वह कुर्सी संभाल लें।
एनसीपी ने आदित्य ठाकरे को अस्वीकार किया
दरअसल, नवंबर 2019 में शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का साथ छोड़ दिया और कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। सरकार बनी तो शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे सीएम बने। हालांकि, वह सीएम बनना नहीं चाहते थे लेकिन एनसीपी ने आदित्य ठाकरे जैसे पहली बार के विधायक को सीएम के रूप में स्वीकार नहीं किया।?
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छह माह के भीतर सदस्य बनना जरूरी
उस समय उद्धव ठाकरे न तो विधायक थे और न ही एमएलसी। संविधान के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति अगर मंत्री या मुख्यमंत्री पद की शपथ लेता है तो उसे छह महीने के अंदर किसी भी एक सदन का सदस्य चुना जाना होता है। उद्धव ठाकरे भी इसी चक्कर में थे कि अप्रैल में होने वाले एमएलसी चुनाव में वह चुने जाएंगे। हालांकि, कोरोना के कारण चुनाव ही रद्द हो गए। अब उनकी कुर्सी तभी बचेगी, जब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अपने कोटे की सीटों पर उद्धव ठाकरे को मनोनीत कर दें।
कोश्यारी ने कोई जवाब नहीं दिया
अभी तक भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को मनोनीत करने की बात पर कोई जवाब नहीं दिया है। राज्य की कैबिनेट ने इसपर प्रस्ताव पारित करके राज्यपाल से अपील भी की है कि वह उद्धव ठाकरे को मनोनीत करके एमएलसी बना दें। जवाब न मिलने के बाद गठबंधन के नेता राज्यपाल से फिर मिलने पहुंचे। फिर भी कोई जवाब ना मिलने के बाद उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी फोन किया।
अब चर्चा यह है कि अगर गवर्नर नहीं माने तो उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना ही पड़ेगा। ऐसे में गठबंधन सरकार के पास एक ही विकल्प है कि वह उद्धव ठाकरे को किसी और को मुख्यमंत्री चुने। गठबंधन सरकार के लिए राहत की बात यह हो सकती है कि कोरोना काल खत्म होने के बाद उद्धव ठाकरे फिर से कोई चुनाव लड़ें, विधानमंडल के सदस्य बनें और फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लें।
क्या आदित्य ठाकरे बनेंगे मुख्यमंत्री?
आज से छह महीने पहले चलें तो शिवसेना की ओर से आदित्य ठाकरे ही चेहरा थे। यही कारण था कि उन्होंने चुनाव लड़ा और खुद उद्धव ठाकरे दूर रहे। आखिर में जब एनसीपी ने आदित्य ठाकरे को सीएम के तौर पर स्वीकार नहीं किया तो खुद उद्दव ठाकरे सरकार का नेतृत्व करने को आगे आए। उद्धव ठाकरे के इस्तीफे की स्थिति में शिवसेना की ओर से पहला नाम आदित्य ठाकरे ही होंगे, जिन्हें कुछ समय के लिए सीएम बनाया जा सकता है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि वह निर्वाचित विधायक हैं और शिवसेना में उद्धव ठाकरे के बाद सबसे लोकप्रिय नेता भी।
शिवसेना को पांच साल तक कुर्सी पर रहना है
कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के इस गठबंधन में शिवसेना और एनसीपी लगभग बराबर की हिस्सेदार हैं। ऐसे में एनसीपी भी सीएम की कुर्सी पर दावा ठोंक सकती है। हालांकि, गठबंधन में यह तय हो चुका है कि पांच साल तक सीएम की कुर्सी शिवसेना के पास ही रहेगी। वैसे भी अगर उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना भी पड़ा तो सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा और कुछ ही समय में वह फिर से सीएम बन जाएंगे।
रोचक बात यह भी है कि छह महीने में Maharashtra विधानमंडल का सदस्य न बन पाने के कारण इस्तीफा देने वाले पहले व्यक्ति उद्धव ठाकरे ही होंगे। कोरोना के कारण ही सही लेकिन उद्धव ठाकरे अनचाहा रेकॉर्ड बना देंगे।
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