कानपुर के इस मंदिर में महादेव दिखाते हैं चमत्कार, दिन में तीन बार रंग बदलता है शिवलिंग
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने-अपने चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यूपी के कानपुर में एक ऐसा शिव मंदिर है जहां शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है. यहां आने वाले भक्त इसे चमत्कार कहते है. और ऐसा माना जाता है कि यह शिवलिंग पूर्णतः जागृत अवस्था में है. वहीं इस मंदिर के स्थापना की एक दिलचस्प कहानी है. तो आइए आपको बिना किसी इंतजार के विस्तार से इस कहानी के बारे में बताते है…
इस तरह से हुई मंदिर की स्थापना…
दरअसल, करीब 300 वर्ष पहले जग्गा मल्लाह किसान की एक दुधारू गाय ने अचानक दूध देना बंद कर दिया था. इस बात से किसान चिंतित हो गया और एक दिन उसने गाय का पीछा करने का फैसला किया. जब जग्गा मल्लाह गाय के पीछे गया तो उसने देखा कि वह अपना सारा दूध एक टीले पर छोड़ रही है. यह चमत्कार देखकर उससे रहा नहीं गया और उसने जाकर सभी गांव वालों को इस घटना के बारे में बताया. जब जग्गा ने गांव वालों को यह सब बताया तो गांव वालों ने सच का पता लगाने के लिए उस जगह पर खुदाई शुरू कर दी. जहां खुदाई के दौरान एक शिवलिंग मिला. खुदाई के दौरान शिवलिंग पर खुरपी से लगा निशान आज भी शिवलिंग पर है. जब मंदिर की स्थापना हुई तो जग्गा मल्लाह बाबा भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त बन गया. जिसकी वजह से इस मंदिर का नाम जागेश्वर मंदिर पड़ा. यह पुराण कानपुर इलाके में मौजूद है.
शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है…
ऐसा माना जाता है कि यह शिवलिंग पूर्णतः जागृत अवस्था में है. इतना ही नहीं, यह दिन में तीन बार रंग भी बदलता है. इस चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं. वहीं सावन में यहां ऐतिहासिक मेला भी लगता है. ऐसा कहा जाता है कि यहां मंदिर में स्थापित शिवलिंग सुबह के समय भूरे रंग का दिखाई देता है, जबकि दिन के दौरान इसका रंग भूरा होता है और रात के समय इस शिवलिंग का रंग पूरी तरह से काले रंग का दिखाई देता है.
हर सावन में लगता है मेला…
बताया जाता है कि सावन के महीने में यहां पर विशेष मेले का आयोजन किया जाता है. भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर पहुंचते हैं और सुबह से ही भक्तों को तांता मंदिर में लग जाता है. इस बार भक्तों के लिए मंदिर के कपाट सुबह 3 बजे ही खोले जा रहे हैं, इसी वक्त से लोग बाबा का अभिषेक करने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं. मंदिर प्रशासन ने इस बार विशेष इंतजाम भी किये हैं. मंदिर के परम श्रीवास्तव बताते हैं कि मंदिर अर्धगोलाकार शैली में बना है.
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