अंतरिक्ष से होगी महाकुंभ की निगरानी, इसरो की सैटेलाइट से दिखेगा अद्भुत नजारा…

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दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 में इस बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भी अपनी अहम भूमिका निभाएगा. प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ-2025 में इसरो अपनी सैटेलाइट के जरिए मेला क्षेत्र की तस्वीरें लेगा और स्नान पर्वों के दौरान विशेष निगरानी करेगा. अनुमान है कि इस बार महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु शामिल होंगे. श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने व्यापक तैयारियां की हैं और इसरो की मदद से सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता किया जाएगा.

इसरो ने पहले भी की थी भागीदारी

इसरो ने वर्ष 2019 के कुंभ मेले में भी अपनी तकनीक का उपयोग किया था. उस समय इसरो ने अपनी रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-2 से संगम क्षेत्र की तस्वीरें ली थीं. इन तस्वीरों को 16 जनवरी 2019 को सार्वजनिक किया गया था. तस्वीरों में गंगा और यमुना के संगम क्षेत्र तट पर जुटी भारी भीड़, पांटून पुल और नावों की गतिविधियां साफ दिखाई दे रही थीं. ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों में यमुना का पानी काला और गंगा का पानी हल्का काला नजर आ रहा था. इसके साथ ही संगम क्षेत्र के आसपास की वाटर बैरिकेडिंग और अन्य संरचनाएं भी स्पष्ट रूप से दिखी थीं.

महाकुंभ-2025 के लिए इसरो की तकनीकी क्षमताओं में और वृद्धि हुई है. नई तकनीकों और उन्नत सैटेलाइट्स के कारण इस बार और अधिक सटीक और स्पष्ट तस्वीरें मिलने की उम्मीद है. इन तस्वीरों के जरिए मेला क्षेत्र की गतिविधियों का बेहतर रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा. इसके अलावा, इन तस्वीरों का उपयोग सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में भी किया जाएगा. हालांकि, मेला प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से इसरो के कार्यों पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने से परहेज किया है.

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सुरक्षा और प्रबंधन में सैटेलाइट की भूमिका

इस बार कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की विशाल संख्या को देखते हुए, राज्य सरकार और मेला प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए हैं. इसरो की सैटेलाइट निगरानी से सुरक्षा प्रबंधन और भी सटीक हो जाएगा. यह व्यवस्था न केवल मेले की बेहतर निगरानी में सहायक होगी, बल्कि भीड़ प्रबंधन और आपात स्थिति से निपटने में भी मदद करेगी.इसरो की इस भागीदारी से महाकुंभ के आयोजन में तकनीकी प्रगति और सुरक्षा प्रबंधन का नया अध्याय जुड़ रहा है. श्रद्धालुओं के लिए यह आयोजन धार्मिक अनुभव के साथ-साथ आधुनिक विज्ञान और तकनीकी सहयोग का भी प्रतीक होगा.

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