फिर बढ़ सकती हैं माफिया सरगना मुख्तार की मुश्किलें,रूंगटा अपहरणकांड में फैसला 15 को

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बांदा जेल में बंद माफिया सरगना मुख्तार अंसारी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं. वाराणसी में विश्व हिंदू परिषद के पूर्व कोषाध्यक्ष नंदकिशोर रूंगटा अपहरण कांड के वादी महावीर रूंगटा को मुकदमे में गवाही देने पर परिवार समेत विस्फोटक से उड़ा देने की धमकी के मामले में आरोपित मुख़्तार अंसारी की तरफ से लिखित बहस दाखिल कर दी गई है. वादी की ओर से अधिवक्ता विधानचंद यादव और ओपी यादव ने बहस पूरी की.

उन्होंने अदालत में कहाकि जिस लैंडलाइन पर धमकी आई थी उसका नम्बर जानबूझकर नहीं बताया गया. वह इसलिए कि नम्बर बताने पर और धमकियां मिलने का डर था. इस मामले में वादी और उनके दोनों पुत्रों ने अभियोजन के कथानक का समर्थन किया है. मामले की सुनवाई कर रही अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन उज्जवल उपाध्याय की अदालत ने फैसले के लिए 15 दिसम्बर की तिथि नियत कर दी.

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मुख्तार अंसारी ने कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा का अपहरण कराया था. इसका मकसद चुनाव लड़ने के लिए पैसे का इंतजाम करना था. तीन करोड़ की फिरौती के लिए मुख्तार ने अपने गुर्गे और पांच लाख के इनामिया अताउर्रहमान उर्फ बाबू उर्फ सिकंदर को इस वारदात को अंजाम देने के लिए लगाया था.

कोयला व्यवसायी बनकर आया था अताउर्रहमान, प्रयागराज में लगाया शव को ठिकाने

वर्ष 1997 में भेलूपुर थाना क्षेत्र की जवाहर नगर कालोनी में रहने वाले कोयला कारोबारी के घर अताउर्रहमान उर्फ बाबू खुद हजारीबाग का कोयला कारोबारी विजय बनकर गया था. घर में बिजनेस डील को लेकर बातचीत के दौरान इनामी बाबू चाय पीने व दस्तावेज दिखाने के बहाने उन्हें घर से बाहर ले गया. इस दौरान कार में बैठाकर कुछ देर तक उसने नंद किशोर रूंगटा को घुमाया. कोयला कारोबार से जुड़े फर्जी दस्तावेज भी दिखाए. इसके बाद चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाया जिससे नंद किशोर अचेत हो गये. इसके बाद 22 जनवरी 1997 को उनके घर फोन कर परिवारवालों को उनके अपहरण की जानकारी देते हुए तीन करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई. सूत्रों की मानें तो इसमें एक करोड़ की पहली किश्त दे भी दी गई लेकिन रूंगटा का कहीं पता नहीं चला. बताया जाता है कि रूंगटा की हत्या कर शव को प्रयागराज में ठिकाने लगा दिया गया था.

नेपाल भागा था अताउर्रहमान, अब पाकिस्तान में

इस घटना के कुछ समय के बाद गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के महरुपुर गांव निवासी अताउर्रहमान उर्फ बाबू भाग कर नेपाल चला गया. इस मामले की सीबीआई जांच भी हुई थी, लेकिन अताउर्रहमान उनके हाथ नहीं लगा. मुख्तार ने नेपाल से उसे बुलाकर विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में भी लगाया. अताउर्रहमान ने ही सभी शूटरों का इंतजाम किया था. भेलूपुर थाने में नंद किशोर रूंगटा के भाई महावीर प्रसाद रुंगटा ने एक दिसम्बर 1997 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसमें कहा गया कि पांच नवम्बर 1997 को शाम पांच बजे टेलीफोन पर उन्हें मुख्तार ने धमकी दी कि अगर पुलिस का सहयोग करेंगे तो बम से उड़ा दिया जाएगा. हालांकि अताउर्रहमान वर्तमान समय में पाकिस्तान में है.

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