AI Chatbot BARD की गलत जानकारी से अरबों का नुकसान, जानें कैसे करता है काम

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गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट के शेयरों में जबरजस्त गिरावट देखने को मिली है अल्फाबेट के शेयर 8 प्रतिशत तक लुढ़क गए, जिसके वजह से कंपनी को कम से कम 100 अरब डॉलर यानि लगभग 991 हजार 560 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। गूगल को इतना बड़ा नुक्सान कंपनी के अपने एआई चैटबॉट बार्ड के एक गलत जानकारी के वजह से उठाना पड़ा है जिसके बाद शेयरों में गिरावट आई। अब इसमें यह सवाल उठ रहा है कि दुनिया भर की जानकारी रखने वाली एआई बॉट कैसे ये गलती कर सकता है, अगर आप भी इससे संबंधित सवालों की जानकारी खोज रहे हैं तो यह रिपोर्ट आपके लिए हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी से अवगत कराएंगे और साथ ही आर्टिफिशियल और एआई चैटबॉट कैसे काम करतें है इसकी भी जानकारी देंगे। और समझेंगे की बार्ड और चैटजीपीटी जैसे चैटबॉट्स पर आंख बंद करके भरोसा किया जा सकता है या नहीं। चलिए जानते हैं।

बार्ड ने किस सवाल का गलत जवाब दिया था…

चैटबॉट बार्ड की लॉन्चिंग के लिए गूगल ने एक इवेंट आयोजित किया था. इसके लिए कंपनी ने एक जीएफएक्स विज्ञापन जारी किया था. इसमें एक शख्स ने बार्ड से सवाल पूछा, ‘मैं अपने नौ साल के बच्चे को जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की किस नई खोज के बारे में बता सकता हूं? बार्ड ने इसके दो जवाब दिए. बार्ड का आखिरी जवाब गलत था. बार्ड ने जवाब में लिखा, ‘इस टेलीस्कोप से हमारे सोलर सिस्टम के बाहर किसी भी ग्रह की पहली तस्वीर ली थी. ये गलत जवाब था। नासा के मुताबिक साल 2004 में यूरिपयन एडवांस टेलीस्कोप ने स्पेस के एक्सोप्लैनेट्स सदर्न ऑब्जर्वेटरी के सोलर सिस्टम के बाहर के ग्रहों की फोटोज ली थी.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी क्या है…

पहले जानने का प्रयास करते है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी किस चिड़ियाँ का नाम है जिसका सोर आज कल खूब गूंज रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को आप कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आसान शब्दों में एआई भी कहा जाता है, इसकी शुरुआत वर्ष 1950 के दशक में हुई थी। एआई का अर्थ है एक मशीन या डिवाइस या सॉफ्टवेयर में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना। एआई को कंप्यूटर साइंस का सबसे एडवांस्ड वर्जन माना जाता है। कहा जाता है कि यदि एआई को पूरा विकसित कर लिया जाए तो मशीन इंसानों की तरह सोच सकेंगी और संवेदनाओं तक को महसूस कर सकेंगी। साफ शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी किसी मशीन को इतना डेवलप कर देना कि वह खुद से ही निर्णय ले कर काम कर सके। उसे कोई भी कमांड देने की जरूरत ही न हो।

क्या होता है एआई चैटबॉट…

वैसे तो आज कल चैटबॉट का नाम खूब सुनने को मिल रहा है। दरअसल, एआई चैटबॉट ChatGPT के बाद गूगल ने भी अपने एआई चैटबॉट BARD की घोषणा कर दी है। चैटबॉट का अर्थ है, चैट+बॉट। चैट का मतलब होता है बातचीत और बॉट का मतलब है रोबोट। एआई चैटबॉट आधारित तौर पर एक ऐसा रोबोट या टूल होता हो जिसमे आप चैट कर सवाल और जवाब कर सकते हैं यानि आप इससे जब भी कोई सवाल लिखके पूछेंगे तो ये लिखित रूप में ही देतें हैं।

यह बिल्कुल उसी तरह से काम करता है जिस तरह से अन्य सोशल मीडिया पर किसी के साथ चैट कर रहे हों। यहां फर्क इतना है कि जवाब एआई वाला सॉफ्टवेयर या एप देता है। इसे आसान भाषा में समझें तो कंपनियां किसी एप को इतना ज्यादा डाटा और जानकारियों से लैस कर देती हैं, जो कि उन्हें हम सवाल का जवाब देने में मदद करते हैं। यानी जो भी जानकारी आप इन चैटबॉट से मांगते हैं वो पहले से इसमें डाली जाती हैं।

क्या गलती कर सकता है एआई चैटबॉट…

इसका जवाब है हां। शुरुआत में जब चैटजीपीटी से यूजर्स सवाल कर रहे थे तो यहां भी इस एआई टूल ने उनका गलत जवाब दिया था। यह पहले से मौजूद डाटा के आधार पर सवालों के जवाब देता है और उत्तर लगभग सटीक रहते हैं। एआई चैटबॉट्स, मशीन लर्निंग और डाटा एल्गोरिदम पर काम करते हैं, ऐसे में गलती की संभावनाएं काफी कम होती हैं, लेकिन गलतियां हो सकती हैं।

क्या चैटबॉट पर भरोसा किया जा सकता है…

फिलहाल नहीं। एआई अभी अपने शुरुआती फेज में है और इतना डेवलप नहीं हुआ है कि इसपर आंख बंद करके भरोसा किया जा सके। कई टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि हम अभी एआई के बारे में बहुत थोड़ा जान पाएं हैं। अभी हमें इस पर बहुत काम करने की जरूरत है। यानी चैटबॉट्स में गलती की संभावनाएं भी काफी ज्यादा हैं। ऐसे में चैटबॉट्स द्वारा दिए गए जवाब के बाद आपको खुद से यह तय करना होगा कि आप जवाब से कितने संतुष्ट हैं।

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