भगवान श्रीकृष्ण ने किया कालिया नाग का मर्दन

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वाराणसी में गोस्वामी तुलसी दास द्वारा शुरू की गई तुलसी घाट की प्रसिद्ध नाग नथैया लीला में शुक्रवार की शाम श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ा. काशी के इस लक्खा मेले के मौके पर मां गंगा ने कालिंदी का रूप धरा. जैसे ही भगवान श्री कृष्ण रूपधारी पात्र कदम्ब की डाल पर चढ़े ‘जय श्रीकृष्ण, हर हर महादेव और जय कन्हैयालाल की‘ के उद्घोष से तुलसीघाट से अस्सी घाट तक का वातावरण गूंज उठा. यह दृश्य कलियुग में द्वापर युग का अहसास करा रहा था. काशी नरेश परिवार की परम्परा का पालन करते हुए कुंवर अनंत नारायण सिंह बजड़े पर मौजूद रहकर इस लीला के साक्षी बने.

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महज दस मिनट की होती है श्रीकृष्ण लीला

काशी की यह प्रसिद्ध श्रीकृष्ण लीला महज दस मिनट की होती है. पिछले 457 साल से कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को होनेवाली लीला को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं. नाटीईमली के भरत मिलाप की लीला भी महज दस मिनट की होती है लेकिन यहां भी अपार भीड़ जुटती है. उधर, भगवान श्रीकृष्ण की इस नयनाभिराम झांकी को देखने के लिए हजारों लोग घाट पर पहले से मौजूद थे। बालक कृष्ण ग्वाल-बाल संग गेंद खेल रहे थे तभी गेंद यमुना में चली गई जहां कालिया नाग का वाश था।

सखाओं ने कर दी गेंद लाने की जिद तो कूद गये यमुना में

सखाओं ने गेंद लाने की जिद की तो भगवान श्रीकृष्ण कदम की डाल पर चढ़ गये। जैसे ही उन्होंने यमुना रूपी गंगा में छलांग लगाई माहौल में सन्नाटा पसर गया। लेकिन जब कालिया नाग के फन पर मुरली बजाते श्रीकृष्ण ने दर्शन दिये तो एक बार फिर हर-हर महादेव के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा. भक्तों ने कालिया नाग के फन का मर्दन करते भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन किये. इस दौरान डमरू दल ने डमरू बजाकर भगवान की इस लीला का स्वागत किया. विधि- विधान के साथ आरती उतारी गई. भीड़ ऐसी कि जहां तक नजर जा रही थी बस नरमुंड ही दिखाई दे रहे थे. लीला प्रेमी इस झांकी को अपने-अपने मोबाइल के कैमरों में कैद करते रहे. लीला के दौरान सामने बजड़े पर सवार कुंवर अनंत नारायण सिंह से परम्परागत ढंग से भेंट करने संकटमोचन मंदिर के महंत और लीला के आयोजक प्रोफेसर विश्वम्भरनाथ मिश्र नाव से उनके पास पहुंचे। शिष्टाचार का पालन हुआ. इस दौरान कुंवर ने पुरातन परम्परा के तहत महंतजी को उपहार भेंट किये.

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