लखनऊ के लाडले और अटल के दुलारे थे लालजी टंडन

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मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार सुबह निधन हो गया। 85 वर्षीय लालजी टंडन लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

बताया जाता है कि राजनीति में सभासद से संसद और राजभवन तक का सफर तय करने वाले लालजी टंडन के जीवन पर दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी का काफी असर रहा।

अटल बिहारी वाजपेयी के साथ पचास साल काम किया-

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वह खुद कहते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी उनके साथी, भाई और पिता रहे। अटल के साथ उनका करीब 5 दशकों का साथ रहा। लालजी टंडन कोई भी बड़ा काम अटलजी के आशीर्वाद से ही शुरू करते थे।

यही वजह रही कि अटल बिहारी वाजपेयी के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को लखनऊ में टंडन ने ही संभाला था और सांसद चुने गए थे।

यूपी की राजनीति में प्रयोग-

लालजी टंडन को उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अहम प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है। 90 के दशक में प्रदेश में बीजेपी और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना जाता है।

1978 से 1984 तक और 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद सदस्य रहे। इस दौरान 1991-92 की यूपी सरकार में वह मंत्री रहे।

इसके बाद वह 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1997 में में वह नगर विकास मंत्री रहे। यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे।

जब मिला अटल बिहारी वाजपेयी का उत्तराधिकार-

2009 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति से दूर हुए और उनकी ऐतिहासिक लखनऊ लोकसभा सीट खाली हुई तो लालजी टंडन को ही बीजेपी ने उनका उत्तराधिकार सौंपा। लालजी टंडन ने ये चुनाव आसानी से जीता और लोकसभा सदस्य चुने गए।

लालजी टंडन को साल 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और फिर कुछ दिनों के बाद मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था।

जेपी आंदोलन में हुए शामिल-

1960 में लालजी टंडन का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। इसके लिए वो जेल भी गए थे।

ऐसा था निजी जीवन-

लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 में हुआ था। अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की। इसके बाद 1958 में लालजी का कृष्णा टंडन के साथ विवाह हुआ।

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