मारे गए कुम्भकरण और मेघनाद, रावण मूर्छित…
वाराणसी: कहते हैं कि जब विपत्ति आती है तो आदमी की मति पहले ही गुम हो जाती है. कुछ ऐसा ही रावण के साथ हुआ. अहंकार के दानव ने उसको इतना आकंठ घेर लिया कि प्रभु श्रीराम से ही बैर ले बैठा. मंदोदरी, विभीषण और यहां तक कि कुंभकरण ने भी समझाया लेकिन विनाशकाले विपरीत बुद्धि. सब कुछ खो बैठा रावण. भाई, बंधु, कुटुंब, रिश्तेदार, नातेदार सब और जब मेघनाद भी काल की भेंट चढ़ गया तो वह मूर्छित ही हो गया.
लक्ष्मण मूर्छा हुई समाप्त…
रामलीला के तेइसवें दिन रावण के दूत बताते है कि लक्ष्मण की मूर्छा समाप्त हो गई . अपनी सेना की पराजय देख रावण अपने भाई कुंभकरण को अनेकों प्रकार के उपाय लगाकर उसे नींद से जगाता है. कुंभकरण रावण की उदासी का कारण पूछता है तो रावण सारी कहानी बताता है. इस पर कुम्भकरण भी वह उसे धिक्कारते हुए कहता है कि अभी भी अभिमान छोड़ कर राम को भजो तभी भला होगा. तुमने मुझे जगा कर अच्छा नहीं किया. आओ अब आखरी बार गले मिल लूं. अब समय नहीं है. वह युद्ध के लिए रणभूमि में पहुंचा.
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सुग्रीव ने काटे नाक- कान…
विशालकाय शरीर देखकर वानर भालू व्याकुल हो उठे. सुग्रीव उससे लड़ते हैं और उसका नाक,कान काट लेते हैं. सेना को व्याकुल देखकर राम खुद कुम्भकरण से युद्ध करते हैं और उससे उसका वध कर देते हैं. उसका कटा सिर लंका में जा गिरा जिसे लेकर रावण दहाड़ मार कर रोने लगा. यह देख कर देवता प्रसन्न होकर पुष्प वर्षा करने लगते हैं. रावण को दुःखी देख उसका पुत्र मेघनाथ उसे दिलासा देकर युद्ध के लिए रथ पर चढ़कर आकाश मार्ग से रणभूमि में पहुंचा. वहां अस्त्र शस्त्रों की वर्षा करने लगा यह देखकर राम की सेना भयभीत हो गई.
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नागफाश में फंसे प्रभु राम…
मेघनाद राम को नागफाश में बांध देता है. तब नारद के निवेदन पर गरुड़ राम को नागपाश से मुक्ति दिलाते हैं. अब राम बाण मारकर मेघनाद को मूर्छित कर देते हैं. मूर्छा टूटने पर वह यज्ञ करने चला जाता है. विभीषण राम को बताते हैं कि यदि उसका यज्ञ पूरा हो जाएगा तो जल्दी मारा नही जा सकेगा. राम लक्ष्मण के साथ वानर भालू को भेजकर उसका यज्ञ विध्वंस करा देते हैं.
मेघनाथ मायावी वेश बनाकर लक्ष्मण से युद्ध करने लगा. लेकिन इस बार लक्ष्मण उसे मार डालते हैं. हनुमान उसका शव लंका के द्वार पर रख कर आते हैं. मेघनाद शव देख रावण मूर्छित हो जाता है. मूर्छा हटने पर वह मंदोदरी से कहता है कि यह संसार नाशवान है. यह सब प्रपंच ब्रह्मा का किया हुआ है.