जाने क्यों राष्ट्रपति रईसी को कहा जाता था ‘तेहरान का कसाई’
दुनिया भर की मीडिया के अनुसार ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत हो गई है. इस हादसे में ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन की भी मौत हो गई है. ईरान के लिये यह एक बड़ी क्षति है. रईसी की मौत के कारण मध्य पूर्व के हालात बिगड़ सकते हैं. वहीं इब्राहिम रईसी को तेहरान का कसाई के नाम से भी जाना जाता था.
Also Read : वाराणसी : सिगरा पर खड़े होने लगे रोपवे टॉवर, जाने कब तक पूरा होगा प्रथम चरण का कार्य
ईरान के ‘डेथ कमेटी’ के थे सदस्य
वहीं साल 1988 में ईरान-इराक युद्ध के दौरान रईसी 4 सदस्यों की एक ऐसी समिति के सदस्य भी रहे थे जिसे ‘डेथ कमेटी’ के नाम से जाना जाता था. इस समिति के सदस्यों द्वारा ही राजनीतिक सजा काट रहे लोगों के ऊपर एक कट्टर फैसला सुनाया था. उन्होंने पीपल्स मुजाहिदीन ऑर्गनाइजेशन ऑफ ईरान के समर्थक थे जो देश में वामपंथ की वकालत करते थे. इन सभी कैदियों को मौत की सजा दे दी गई. वहीं हजारों की संख्या में कैदियों को मनमाने ढंग से मौत की सजा सुनाने के कारण उन्हें ‘बुचर ऑफ तेहरान’ यानि ‘तेहरान का कसाई’ कहा जाता था. सरकारी आंकड़ो के अनुसार मौत की सजा पाने वालों की संख्या 5 हजार थी. जबकि मानवाधिकार संघठन के मुताबिक इनकी संख्या करीब 30 हजार थी.
सुप्रीम लीडर के थे उत्तराधिकारी
ईरान में राष्ट्रपति रईसी दूसरे नम्बर पर थे. वह सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्लाह अली खामेनेई के बेहद करीबी थे. वहीं ईरान में कई लोग 63 वर्षीय नेता को सुप्रीम लीडर के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखते थे.
धार्मिक परिवार से थे ताल्लुकात
इब्राहिम रईसी का जन्म 1960 में ईरान के पवित्र शहर मशहद में हुआ था. रईसी के पिता एक मौलवी थे. मात्र 5 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने पिता को खो दिया था. 15 साल की आयु में उन्होंने कोम शहर के एक शिया संस्थान में पढ़ाई शुरू की. छात्र जीवन से ही रईसी राजनीति में सक्रिए हो गए थे. वहीं 20 साल की आयु में उन्हें तेहरान के पास स्थित कराज का सरकारी वकील बनाया गया. वहीं उन्हें 2014 में ईरान का महाभियोजक बनाया गया था. वर्ष 2021 से वह ईरान के राष्ट्रपति के पद को संभाल रहे थे.