जानें कब है अष्टमी और नवमी ? जानिए क्या है कन्याभोज का मुहूर्त …

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15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हुआ था, इस नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। इसमें भी दो दिनों को विशेष महत्व दिया जाता है, अष्टमी और नवमी । जिसमें से अष्टमी को महागौरी का पूजन किया जाता है तो, वही नवमी को मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। नवरात्रि की शुरूआत के कलश स्थापना की जाती है। हर बार की तरफ इस साल भी लोगों में अष्टमी और नवमी को लेकर संदेह देखने को मिल रहा है कि, आखिर अष्टमी और नवमी की सही तिथि क्या है ? आइए जानते है कब है इस साल की महाअष्टमी और महानवमी…

कब मनाई जाएगी दुर्गा अष्टमी ?

इस साल की शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि 21 अक्टूबर को रात 9 बजकर 53 मिनट पर लगेगी और 22 अक्टूबर को रात 7 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इस हिसाब से उदया तिथि की वजह से इस साल की अष्टमी 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

कब होगा कन्याभोज और क्या है मुहूर्त ?

कन्याभोज के लिए 22 अक्टूबर को कई सारे मुहूर्त बन रहे है, जिसमें एक सुबह 7 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगा, उसके बाद सुबह 9 बजकर 16 मिनट से लेकर 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा । इन मुहूर्त में आप कन्याभोज करा सकते है। वहीं, 22 अक्टूबर को सुबह सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस दिन सुबह 6 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 44 मिनट तक यह योग बनेगा, जिसमें कभी भी कन्या पूजन किया जा सकता है।

कब है महानवमी?

23 अक्टूबर नवमी तिथि लगने वाली है। इसके साथ ही कुछ लोग नवमी को कन्याभोज कराते है। इसलिए नवमी तिथि पर कन्याभोज का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सुबह 9 बजकर 16 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। इस दिन अन्य पूजन मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 55 मिनट तक और उसके बाद दोपहर 2 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 4 बजकर 19 मिनट तक।

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ऐसे कराए कन्याभोज …

कन्याभोज से एक दिन पहली कन्याओं के घर पर निमंत्रण भेज दे और गृहप्रवेश पर कन्याओं पर पुष्प वर्षा कर नव दुर्गा के सभी नामों के जयकारे लगाएं। इसके बाद कन्याओं को स्वच्छ स्थान पर बैठाए और फिर जल या दूध से भरे थाल में कन्याओं के पैरों को अपने हाथ से धूले । कन्‍याओं के माथे पर अक्षत, फूल या कुमकुम लगाएं फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें

 

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