जाने देश के वो महायोगी जिन्होंने विश्व में दिलाई योग को पहचान… ?
आज भारत की नहीं बल्कि दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बड़े स्तर पर मनाया जा रहा है. योग दिवस मनाए जाने की शुरूआत भले ही साल 2015 में हुई हो, लेकिन योग का इतिहास और इसको लेकर संघर्ष आज का नहीं है. क्यों योग पुराणों से ही भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है. योग शब्द का सबसे पहले उल्लेख ऋग्वेद में पाया जाता है.उसके बाद भारतीय संस्कृति के कई सारे उपनिषदों में इसका उल्लेख मिलता है. यही वजह है कि, भारत योग गुरूओं का देश रहा है, जिन्होंने योग शिक्षा के माध्यम से योग के ज्ञान को न सिर्फ जीवित रखा बल्कि पीढ़ी दर पीढी इससे विस्तार करने का भी काम किया है.
वहीं जब कभी योग गुरू का जिक्र आता है तो, हमारे जेहन में बस एक ही नाम आता है वो है बाबा रामदेव. आधुनिक समाज में योग के महत्व को समझाना और इसके विस्तार में वास्तव में बाबा रामदेव ने बड़ा योगदान दिया है, जिसकी वजह से उनका योग के साथ उनका उल्लेख हमेशा किया जाता रहेगा. लेकिन उनके साथ ही भारत के उन महायोगियों का योग में दिया गया योगदान हम कभी नहीं भूल सकते हैं, जिन्होंने पुराणों से लेकर आधुनिक समय तक योग को स्थापित करने में अपना योगदान दिया है. हालांकि, यह हमारे लिए अफसोस की बात है कि हमारी पीढ़ी शायद ही उनके नाम को आज जानती होगी. यही वजह है कि आज योग दिवस के मौके पर हम उन महायोगियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने योग के महत्व को जनता तक पहुंचाने का काम किया. आइए जानते हैं कौन हैं वे महायोगी….
ऋषि पतंजलि
प्राचीन भारत में एक ऋषि हुआ करते थे, ऋषि पतंजलि. जिन्होंने कई सारे धर्मग्रंथों की रचना की है. उन्हीं में से एक ग्रंथ है योगसूत्र, जिसे योगदर्शन का मूलग्रंथ कहा जाता है. आपको बता दें कि ऋषि पतंजलि का जन्म उत्तर प्रदेश के गोंडा जनपद में हुआ था. उस समय यहां पर शुंग वंश का शासन हुआ करता था. ऋषि पतंजलि का जन्म भले ही गोंडा में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना निवास स्थान बनारस को बनाया. यहां उन्होंने व्याकरणाचार्य पाणिनी से योग की शिक्षा ग्रहण की थी. बताते हैं कि पतंजलि को शेषनाग का अवतार माना जाता था. पतंजलि बहुत बड़े चिकित्सक थे और इन्हें ही ‘चरक संहिता’ का रचयिता माना जाता है.
बी के एस अयंगर
बी के एस अयंगर जिन्हें दुनिया में सर्वश्रेष्ठ योग गुरुओं में से एक माना जाता है. उन्होंने अपने जीवन काल में कई सारे योगग्रंथ लिखे जिसमें ‘लाइट ऑन योगा’, ‘लाइट ऑन प्राणायाम’ और ‘लाइट ऑन द योग सूत्राज ऑफ पतंजलि’ उनके योगदर्शन पर लिखे गए लेख शामिल हैं. उनका जन्म 14 दिसंबर 1918 को बेल्लूर में एक गरीब परिवार में हुआ था. माना जाता है कि अयंगर बचपन में बहुत बीमार थे, इसलिए उन्हें योग करने की सलाह दी गई थी. योग करने से उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ, इसलिए उन्होंने देश-दुनिया में योग का प्रचार करने का फैसला किया. उनका एक योग का स्कूल भी है जिसका नाम “अंयगर योग” है. बी के एस अयंगर की योग शैली बहुत अलग है, जिसे “अयंगर योगा” कहते हैं. 2004 में टाइम मैगजीन ने उनका नाम दुनिया के शीर्ष 100 प्रभावशाली लोगों में शामिल किया.
तिरुमलाई कृष्णमचार्य
आधुनिक योग का पितामह कहे जाने वाले योग गुरू तिरुमलाई कृष्णमचार्य को कौन नहीं जानता है. उन्हें आयुर्वेद का भी ज्ञान और वे लोगों को योग और आयुर्वेद सेहतमंद रहने में मदद करते थे. विन्यास और हठयोग को पुनर्जीवित करने का श्रेय उन्हें ही जाता है. उनका जन्म 18 नवंबर 1888 को मैसूर के चित्रदुर्ग जिले में हुआ था और 1989 में करीब 100 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हुआ. हिमालय की गुफाओं में योग का अभ्यास करते हुए वे अपनी सांसों और धड़कनों को नियंत्रित कर सकते थे. 1938 में उन्होंने योगा के आसनों पर एक साइलेंट फिल्म भी बनाई थी.
कृष्ण पट्टाभि जोएस
श्री कृष्ण पट्टाभि जोएस जिनका जन्म 26 जुलाई 1915 को कर्नाटक के एक गांव में हुआ था, वे योग की अष्टांग विन्यास शैली के जन्मदाता हैं. उन्होंने मैसूर में “अष्टांग योग” की खोज के लिए एक संस्था भी स्थापित की है. इसकी वजह से उनका नाम भी चर्चा में रहा था और करीब 93 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
परमहंस योगानंद
परमहंस योगानंद का जन्म 5 जनवरी 1893 को गोरखपुर के बंगाली परिवार में हुआ था. उनके बचपन का नाम मुकुंद लाल घोष था. उनके माता-पिता क्रियायोगी लाहिड़ी महाशय के शिष्य थे. बाद में घटनाएं ऐसा मोड़ लेती गईं कि मुकुंद लाल लाहिड़ी महाशय से परमहंस योगानंद बन गए. अपनी पुस्तक “ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी” ने मेडिटेशन और क्रिया योग को पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय बनाया था. सेल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप लेसन उनकी एक और किताब बहुत लोकप्रिय हुई.
स्वामी शिवानंद सरस्वती
स्वामी शिवानंद सरस्वती का जन्म तमिलनाडु में 8 सितंबर 1887 को हुआ था. वह डॉक्टर बनने के बाद ऋषिकेश में रहते थे. उनके पास योग, वेदांत और अन्य कई विषयों पर करीब 300 ग्रन्थ थे. शिवानंद योग वेदांत उनका योग केंद्र है, उन्होंने 1932 में शिवानन्दाश्रम और 1936 में दिव्य जीवन संघ की स्थापना की थी.
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महर्षि महेश योगी
‘ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन’ के जरिए महर्षि महेश योगी ने दुनिया भर में लाखों लोगों को अपना अनुयायी बनाया. उनके शिष्यों में कई सिलेब्रिटी भी शामिल हैं. महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के एक गांव में हुआ और उनका असली नाम महेश प्रसाद वर्मा था. उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया था. हिमालय में उन्होंने अपने गुरु से ध्यान और योग की शिक्षा ली. ब्रिटेन के मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों ने उन्हें आध्यात्मिक गुरु माना. श्री श्री रविशंकर भी महर्षि महेश योगी के शिष्य हैं.
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