आज या कल जानें कब है गोवर्धन पूजा…

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दीवाली के पांच दिवसीय त्यौहार में से चौथे दिन गोवर्धन पूजा मनाया जाता है. यह त्यौहार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. लेकिन इस साल दिपावली की तिथि में मतभेद होने की वजह से गोवर्धन पूजा की तिथि में भी मतभेद देखने को मिल रहा है. ऐसे में गोवर्धन पूजा की सही तिथि क्या है इसको लेकर लोगों में कंफ्यूजन है कि गोवर्धन पूजा आज है या कल ? आइए जानते हैं…

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गोकुल वासियों को इंद्र भगवान के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली से उठाकर उसके नीचे शरण देकर उनकी रक्षा की थी. इसकी वजह से हर साल गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जाता है. इस पर्व को कई स्थानों को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही इस दिन की जाने वाली पूजा में भगवान कृष्ण को अनाज से बने भोग लगाने की परंपरा है. वहीं इस दिन गाय और बैलों की पूजा की जाती है.

तिथि..

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और 2 नवंबर रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी. इसके साथ ही उदया तिथि पड़ने के चलते गोवर्धन पूजा का त्यौहार 2 नवंबर को मनाया जाएगा.

शुभ मुहूर्त…

पूजा का शुभ मुहूर्त इस दिन दोपहर 3 बजे 23 मिनट से शाम 5 बजे 35 मिनट तक है. इस समय पूजा करना पवित्र है. मान्यता है कि इस दिन भगवान की विधिपूर्वक पूजा करने से उसका आशीर्वाद मिलता है.

क्या लगाएं भोग ?

इस पूजा को कई स्थानों को अन्नकूट के नाम से जाना जाता है, क्योकि इस दिन भगवान कृष्ण को अलग – अलग अन्न, सब्जी और पकवान का भोग लगाया जाता है. इस दिन भोग में आप चावल, खीर, पूड़ी , सब्जियां, कढी और अन्य स्वादिष्ट भोज को शामिल कर सकते हैं. इनसे एक तरह का अन्न का पहाड़ तैयार कर भगवान कृष्ण को चढाया जाता है. इसके बाद इसका भोग लगाने के बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है.

पूजा विधि…

गोवर्धन पूजा करने से पहले घर के आंगन या मुख्य दरवाजे पर गोबर से लीप लगाकर गोवर्धन भगवान की आकृति बनाएं औऱ फिर बैल और गाय की छोटी आकृतियां भी बनाएं. इसके बाद पूजा में रोली, चावल, बताशे, पान, खीर, जल, दूध, फूल और अन्य सामग्री अर्पित करें और फिर दीपक जलाएं. इसके बाद पूजा आरंभ करे, वही पूजा के दौरान गोवर्धन भगवान की परिक्रमा करे औऱ उसके बाद आरती कर आखिरी में भोग लगाकर प्रसाद परिवार को सभी सदस्यों को वितरित करें.

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