शरद यादव निधन: जानें उनकी शिक्षा से लेकर JDU पार्टी बनाने तक का सफर
जनता दल यूनाइटेड(JDU) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का गुरुवार की शाम गुरुग्राम के अस्पताल में आखिरी सांस ली. शरद यादव की उम्र 75 साल थी। हालांकि वह काफी समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे। गुरुवार की रात उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई थी। जिसके बाद तुरंत उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन इलाज के दौरान कुछ घंटे बाद ही उनका निधन हो गया। शरद यादव के निधन की जानकारी उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने एक ट्वीट के माध्यम से दी थी। उन्होंने लिखा-पापा नहीं रहे। शरद यादव राजनीति में जाने माने नेता और सक्रिय नेता थे। शरद यादव के निधन से बिहार में शोक की लहर है।
पापा नहीं रहे 😭
— Subhashini Sharad Yadav (@Subhashini_12b) January 12, 2023
होशंगाबाद के बंदाई गांव में जन्म…
शरद यादव का जन्म साल 1947 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई में एक किसान परिवार में हुआ था. प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढाई की, जिसके लिए यह जबलपुर गए थे, लेकिन यही जबलपुर उनके लिए अगले कुछ सालों में राजनीती जमीन तैयार कर रहा था. असल में उन्होंने यहीं इंजीनियरिंग कॉलेज से ही छात्र राजनीति में कदम रखा. बहुत कम लोग जानते हैं कि शरद यादव इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट थे. उन्होंने रॉबर्ट्सन मॉडल साइंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री भी हासिल की थी.
1974 रहा करियर का अहम साल…
साल 1971 में शरद यादव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान राजनीति से जुड़ गए थे. वो जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए थे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, एचडी देवगौड़ा और गुरुदास दासगुप्ता के साथ की थी. वह लोहिया के विचारों से प्रभावित थे और इसी प्रभाव में कई आंदोलनों में भी शामिल रहे. साल 1974 उनके राजनीतिक करियर का अहम साल रहा. वह पहली बार सासंद चुने गए.
तीन राज्यों में सांसद पद संभाला…
वे देश में पहले ऐसे सांसद थे जिन्होंने तीन राज्यों में सांसद पद संभाला था। शरद यादव अपने गृह क्षेत्र जबलपुर लोकसभा से 1974 और 1977 में दो बार जीत दर्ज कर सांसद बने थे। तीसरी बार शरद यादव ने 1989 में उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। वह बीपी सिंह की सरकार में भी मंत्री भी बने थे। हालांकि बंदायू से जीत के बाद शरद यादव का संसदीय क्षेत्र बिहार का मधेपुरा रहा जहां से वे चार बार सांसद रहे। वैसे तो वह मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। लेकिन शरद यादव ने बिहार में एक अलग पहचान बनाई थी।
कई मंत्रालय भी संभाले…
जिस जमीन से वह संसद पहुंचे थे, यह उनके छात्र जीवन की ही जमीन जबलपुर की थी. 1974 के बाद 1977 में दोबारा सांसद चुने गए. इसके बाद 1986 में वो राज्यसभा के सदस्य चुने गए. 1989 में भी वो यूपी के बदाऊं लोकसभा सीट से जीतकर तीसरी बाद संसद पहुंचे. इसी समय उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. उन्हें केंद्रीय कैबिनेट कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री बनाया गया. यूपी में राजनीतिक रंग जमाने के बाद 1991 से 2014 तक शरद यादव ने बिहार की जमीन पर पहुंचे. इस दौरान वो बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रहे. वर्ष 1995 में उन्हें जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष भी चुना गया. वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने लालू यादव को मात दे दी.
1998 में बनाई जनता दल यूनाइटेड पार्टी…
1998 में जनता दल यूनाइटेड पार्टी बनाई, साल 2004 में दूसरी बार राज्यसभा पहुंचे. इससे पहले 1999 में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और सितम्बर 2001 से 30 जून 2002 तक केंद्रीय श्रम मंत्री भी रहे. 1 जुलाई 2002 से 15 मई 2004 तक शरद यादव केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री भी बनाए गए. साल 2012 में संसद में उनके बेहतरीन योगदान के लिए उन्हें ‘उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार 2012’ से नवाजा गया. साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें बिहार की मधेपुरा सीट से हार मिली और यहीं से उनका करियर ढलान पर उतरता गया. आज शरद यादव नही हैं, लेकिन राजनीति में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.