क्यों लगातार घटता है पैसा, जानें कारण और क्या होता है इसका प्रभाव

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आज भी डॉलर की दहाड़ से कंपा रुपया क्यूंकि आज भी शुरुआती कारोबार में ही डॉलर की तुलना में रुपया ऑल टाइम लो 81.47 पर आ गया। पिछले बंद भाव में डॉलर 20 साल के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंचा, रूपया 38 पैसा टूटा वहीं रुपये में आई ये ऐतेहासिक गिरावट के कारण व्यपारियों ने चिंता जताते हुए कहा हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक ने गिरावट को रोकने के लिए डॉलर बेचे जाने की संभावना है।

रुपये गिरने के कारण : रुपये में कमजोरी कई वजह से होती है। इसका सबसे आम कारण है डॉलर की डिमांड बढ़ जाना। अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाली किसी भी उथल-पुथल से निवेशक घबराकर डॉलर खरीदने लगते हैं। ऐसे में डॉलर की मांग बढ़ जाती है और बाकी मुद्राओं में गिरावट शुरू हो जाती है। शेयर बाजार की उथल-पुथल का भी रुपये की कीमत पर असर होता है। बता दें कि विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि फेडरल रिजर्व की दरों में बढ़ोतरी करने और रूस-यूक्रेन में तनाव की वजह से निवेशक जोखिम उठाने से बच रहे हैं।

रूपया गिरने से हमें क्या नुक्सान : रुपया कमजोर होने से भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। भारत को आयात के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। आयात पर निर्भर कंपनियों का मार्जिन कम होगा, जिसकी भरपाई दाम बढ़ाकर की जाएगी। इससे महंगाई बढ़ेगी। पेट्रोलियम उत्पाद , विदेश घूमना, विदेश से सर्विसेज लेना आदि भी महंगा हो जाएगा। रुपया कमजोर होने से विदेशी मुद्रा भंडार कमजोर होता है। खजाना खाली होगा। यह आर्थिक लिहाज से ठीक बात नहीं है।

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आखिर क्यों होती है डॉलर से तुलना: वैश्विक स्तर पर अधिकांश मुद्राओं की तुलना डॉलर से होती है। रुपये की डॉलर से ही तुलना क्यों होती है? इस सवाल का जवाब छिपा है द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए ‘ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट’ में। इस समझौते में न्यूट्रल ग्लोबल करेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। उस समय युद्धग्रस्त पूरी दुनिया में अमेरिका आर्थिक तौर पर मजबूत होकर उभरा था। ऐसे में अमेरिकी डॉलर को दुनिया की रिजर्व करेंसी के रूप में चुना गया और पूरी दुनिया की करेंसी के लिए डॉलर को एक मापदंड के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा।

रुपये के घटने से होता है इन छेत्रों को लाभ :

आईटी क्षेत्र: विदेश में काम करने पर इन कंपनियों की कमाई बढ़ेगी।
दवा निर्यात: रुपया कमजोर होने से इस सेक्टर का निर्यात भी बढ़ेगा।
कपड़ा क्षेत्र को फायदा: टेक्सटाइल निर्यात में भारत वैश्विक रैकिंग में फिलहाल दूसरे स्थान पर मौजूद है। यदि रुपया कमजोर हुआ तो इस सेक्टर को भी काफी फायदा होगा।

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अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा: 

01 जनवरी 75.43

01 फरवरी 74.39

01 मार्च 74.96

01 अप्रैल 76.21

01 मई 76.09

01 जून 77.21

01 जुलाई 77.95

01 अगस्त 79.54

29 अगस्त 80.10

22 सितंबर 80.79
26 सितंबर 81.47 (शुरुआती कारोबार में)

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