Kissa EVM ka : भारत में पहली बार कब हुआ था ईवीएम का प्रयोग ?
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगा दी थी ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक ?
Kissa EVM ka: दौर चुनावी पर्व का है जिसमें हमने एक चरण को पार भी कर लिया है. इन सबके बीच चुनाव का मूल आधार ईवीएम हमेशा से ही सियासत में विवाद और बहस का मुद्दा रहा है. विपक्ष हमेंशा से ही अपनी हार का ठिकरा बेचारी ईवीएम पर फोड़ता रहता है. ऐसे में चुनाव में ईवीएम की चर्चा हो या न हो लेकिन मतगणना के बाद इसकी चर्चा जोरों से शुरू हो जाती है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है करोड़ो मतदाताओं की मत शक्ति के तौर पर प्रयोग होने वाली ईवीएम का इतिहास क्या रहा होगा, क्यों इसकी जरूरत पड़ी, कैसे मतपत्र से बेहतर है ईवीएम. ऐसे न जाने कितने ही सवाल हैं जो ईवीएम को लेकर लोगों के मन में उठते होंगे ? यदि आप के मन भी इस तरह के कई सवाल रहते हैं तो यह सीरीज आपके इन सभी सवालो का जवाब बनने वाली है क्योंकि, इस सीरिज में हम बात करने जा रहे ईवीएम निर्माण से लेकर अब तक के सफर के बारे में … इस सीरिज के तीसरे एपिसोड में हम जानेंगे की आखिर भारत में पहली बार कब हुआ ईवीएम का प्रयोग ?
1982 में हुआ भारत में प्रयोग
वही अगर बात करें पहली बार ईवीएम के प्रयोग की तो, पहली बार इसका प्रयोग 19 मई 1982 को केरल में परूर विधानसभा सीट के चुनाव के दौरान 50 मतदान केंद्रों पर प्रयोग किया गया था. हालांकि, इस प्रयोग के बाद कानून में स्पष्ट प्रावधान के बिना ईवीएम को इस्तेमाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती देने का काम किया. शीर्ष अदालत ने ईवीएम में खामियों या इसके फायदों पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया लेकिन कहा कि मशीनों से मत डालने का निर्वाचन आयोग का आदेश उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, इसके बाद में परूर निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले उम्मीदवार के चुनाव को रद्द कर दिया गया था.
चुनाव सुधार समिति का ऐलान
जनप्रतिनिधित्व कानून का दिसंबर 1988 में संशोधन किया गया, जिसमें एक नई धारा 61ए जोड़ी गई, जो चुनाव आयोग को ईवीएम का उपयोग करने का अधिकार देती है. 15 मार्च 1989 को संशोधन लागू हुआ. ईवीएम का प्रोटोटाइप प्रदर्शित होने के बाद, बेंगलुरु स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने ईसीआईएल के साथ मिलकर इसे बनाने का फैसला किया. साल 1990 में दिनेश गोस्वामी की अध्यक्षता में चुनाव सुधार समिति जिसमें कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के प्रतिनिधि शामिल थे, केंद्र सरकार ने बनाई थी और ईवीएम की जांच करने की सिफारिश समिति ने तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम से की थी. विशेषज्ञ समिति ने ईवीएम को तकनीकी रूप से मजबूत, सुरक्षित और पारदर्शी बनाने की सर्वसम्मति से सिफारिश की थी.
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ईवीएम इस्तेमाल के लिए 1989 में लाया गया कानून
इसके बाद रिप्रेंजेंटेटिव्स ऑफ पीपुल्स एक्ट को 1989 में संशोधन किया गया, जिसमें 1951 में EVM से चुनाव कराने की बात जोड़ी गई थी. हालांकि, कानून बनने के बाद भी EVM कई सालों तक उपयोग नहीं हो सका और साल 1998 में दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान की 25 विधानसभा सीटों पर EVM से चुनाव कराए गए. फिर साल 1999 में भी EVM से 45 लोकसभा सीटों पर वोट डाले गए थे. वही हरियाणा में फरवरी 2000 में हुए चुनावों में भी 45 सीटों पर EVM का उपयोग किया गया था. EVM से पहली बार मई 2001 में तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल की सभी विधानसभा सीटों पर वोट डाले गए और 2004 के लोकसभा चुनाव में EVM से सभी 543 सीटों पर वोट डाले गए. तब से प्रत्येक चुनाव में प्रत्येक सीट पर EVM वोट डाले जा रहे हैं.