Kissa EVM ka: देश में रोक के बाद कब हुई ईवीएम की भारत में वापसी ?

साल 2013 में ईवीएम में ये हुआ था बदलाव

0

Kissa EVM ka: दौर चुनावी है जिसमें हमने एक चरण पार भी कर लिया है. इन सबके बीच चुनाव का मूल आधार ईवीएम हमेशा से ही सियासत में विवाद और बहस का मुद्दा रहा है. विपक्ष हमेंशा से ही अपनी हार का ठिकरा ईवीएम पर फोड़ता रहता है. ऐसे में चुनाव में ईवीएम की चर्चा हो या न हो लेकिन मतगणना के बाद इसकी चर्चा जोरों से शुरू हो जाती है.

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है करोड़ों मतदाताओं की मत शक्ति के तौर पर प्रयोग होने वाली ईवीएम का इतिहास क्या रहा, क्यों इसकी जरूरत पड़ी, कैसे मतपत्र से बेहतर है ईवीएम. ऐसे न जाने कितने ही सवाल हैं जो ईवीएम को लेकर लोगों के मन में उठते होंगे ? यदि आप के मन भी इस तरह के कई सवाल रहते हैं तो यह सीरीज आपके इन सभी सवालो का जवाब बनने वाली है क्योंकि, इस सीरिज में हम बात करने जा रहे ईवीएम निर्माण से लेकर अब तक के सफर के बारे में. इस सीरिज के चौथे एपिसोड में हम जानेंगे की ईवीएम के प्रयोग सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गयी रोक के बाद वापस कब से शुरू हुआ ईवीएम का प्रयोग.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी इस वजह से रोक

वहीं अगर बात करें पहली बार ईवीएम के प्रयोग की तो इसका प्रयोग 19 मई 1982 को केरल में परूर विधानसभा सीट के चुनाव के दौरान 50 मतदान केंद्रों पर प्रयोग किया गया था. हालांकि, इस प्रयोग के बाद कानून में स्पष्ट प्रावधान के बिना ईवीएम को इस्तेमाल के बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने का काम किया गया. शीर्ष अदालत ने ईवीएम में खामियों या इसके फायदों पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया, लेकिन कहा कि मशीनों से मत डालने का निर्वाचन आयोग का आदेश उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, इसके बाद में परूर निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले उम्मीदवार के चुनाव को रद्द कर दिया गया था.

केरल पेरूर विधानसभा सीट के मतदान केंद्रों पर पहली बार ईवीएम के प्रयोग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसके प्रयोग पर आपत्ति जताई थी. जैसा कि हम आपका तीसरे एपिसोड में बता भी चुके हैं, इसके बाद ईवीएम के प्रयोग का मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद ईवीएम के प्रयोग पर रोक लग गयी थी. सुप्रीम कोर्ट का चुनौती देने का उद्देश्य बस इतना था कि, मशीनों से मत डालने का निर्वाचन आयोग का आदेश उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, इसके साथ ही अब सवाल यह आता है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई रोक कब हटी और फिर कब से शुरू हुआ ईवीएम के प्रयोग का सिलसिला…..

साल 1998 में हुई ईवीएम की वापसी

तो आपको बता दें कि साल 1998 में रोक हटने के बाद ईवीएम का एक बार फिर से इस्तेमाल शुरू हआ था. दरअसल उन दिनों मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराए जा रहे थे, इस दौरान इन तीनों राज्यों के कुछ विधानसभा सीटों पर मतदान के लिए ईवीएम का प्रयोग किया गया था. इसके बाद साल 1999 में आम चुनाव के दौरान 46 लोकसभा सीटों पर ईवीएम का प्रयोग किया गया. इसके बाद साल 2000 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान 45 विधानसभा सीटों के मतदान के लिए ईवीएम का प्रयोग किया गया और इसके बाद आया ईवीएम के इतिहास का सबसे बड़ा साल 2001 जब तमिलनाडु, केरल, पुद्दुचेरी और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पूरी तरह से ईवीएम का प्रयोग किया गया. फिर सभी विधानसभा चुनावों में ईवीएम का प्रयोग शुरू हो गया.

Also Read: Kissa EVM ka: जानें ईवीएम का किसने किया था आविष्कार ?

साल 2004 से हो रहा ईवीएम का प्रयोग

इसके बाद साल 2004 में देश में आयोजित आम चुनावों के दौरान लोकसभा की सभी 543 सीटों पर बड़े स्तर प्रयोग किया गया. इसके बाद ईवीएम के प्रयोग की यह प्रक्रिया आज तक चल रही है. समय के साथ बढती तकनीक की अधिकता के चलते साल 2013 में ईवीएम में वोटर वेरीफ़ाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया. वीवीपैट की मदद से वोट डालने के बाद कागज की एक पर्ची बनती है, जिसपर दर्शाया जाता है कि, वोटर ने किस उम्मीदवार को वोट दिया है, पर्ची पर उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिंह छपकर आता है. वीवीपैट का प्रयोग इसलिए शुरू किया गया ताकि ईवीएम को लेकर होने वाले किसी भी विवाद के बाद ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके.

 

 

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More