Kissa EVM ka: जानें ईवीएम का किसने किया था आविष्कार ?

साल 1980 में अस्तित्व में आई थी मशीन

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Kissa EVM ka:  दौर चुनावी पर्व का है जिसमें हमने एक चरण को पार भी कर लिया है, ऐसे में चुनाव का मूल आधार ईवीएम हमेशा से ही सियासत में विवाद और बहस का मुद्दा रहा है. विपक्ष हमेंशा से ही अपनी हार का ठिकरा बेचारी ईवीएम पर फोड़ता रहता है. ऐसे में चुनाव में ईवीएम की चर्चा हो या न हो लेकिन मतगणना के बाद इसकी चर्चा जोरों से शुरू हो जाती है.

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है करोड़ो मतदाताओं की मत शक्ति के तौर पर प्रयोग होने वाली ईवीएम का इतिहास क्या रहा होगा, क्यो इसकी जरूरत पड़ी, कैसे मतपत्र से बेहतर है ईवीएम. ऐसे में न जाने कितने ही सवाल हैं जो ईवीएम को लेकर लोगों के मन में उठते होंगे ? यदि आप के मन भी इस तरह के कई सवाल रहते हैं तो यह सीरीज आपके इन सभी सवालो का जवाब बनने वाली है क्योंकि, इस सीरिज में हम बात करने जा रहे ईवीएम निर्माण से लेकर अब तक के सफर की…..

क्या होती है EVM मशीन ?

ईवीएम का अर्थ यदि हम सरल भाषा में समझे तो, इसका मतलब होता है ”इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन” जो आपको शायद पहले से ही पता रहा होगा. इसके साथ ही यह मशीन एक साधारण बैटरी से चलाई जाती है जो मतदान के दौरान पड़ने वाले मतों को दर्ज करती है, साथ ही गणना भी करती है. ईवीएम के दो भाग होते हैं. पहला भाग बैलिटिंग यूनिट जो मतदाताओं द्वारा संचालित होता है और दूसरा भाग जिसे कंट्रोल यूनिट पोलिंग अधिकारी संचालित करते हैं.

ईवीएम के यह दोनों हिस्से एक दूसरे से एक पांच मीटर तार के माध्यम से जुड़े रहते हैं. वही एक ईवीएम में 64 प्रत्याशियों के नाम शामिल किए जा सकते हैं. साथ ही बात करें अगर मतदान की क्षमता की तो एक ईवीएम 3840 मत दर्ज कर सकता है. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) बेंगलुरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया (ECIL) हैदराबाद दो पब्लिक सेक्टर कंपनियां हैं जो चुनाव आयोग के लिए ईवीएम बनाती हैं.

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EVM का इतिहास ?

साल 1980 में भारतीय ईवीएम का आविष्कार एमबी हनीफा द्वारा किया गया था, जिसे उन्होने ‘इलेक्ट्रॉनिक संचालित मतगणना मशीन के नाम से 15 अक्टूबर 1980 को पंजीकृत करवाया था. एकीकृत सर्किट का प्रयोग करते हुए एमबी हनीफा ने अपने द्वारा बनाए गए मूल डिजाइन को तमिलनाडू के छह शहरों में आयोजित सरकारी प्रदर्शनियों में जनता के लिए प्रदर्शित किया था.

 

 

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