जानिये, कैसे कोरोना वायरस किडनी को भी ले बीतता है?
अमेरिका किडनी की डायलिसिस मशीनों की कमी के गंभीर संकट का सामना कर रहा
लंदन : कोरोना वायरस रेस्पिरेटरी सिस्टम के साथ साथ Kidney को भी काफी नुकसान पहुंचा रहा है।
ज्यों—ज्यों स्टडीज आगे बढ़ रही हैं, पता चल रहा है कि यह वायरस गुर्दा Kidney, बड़ी आंत आदि को भी काफी नुकसान कर रहा है। इन नयी स्टडीज ने विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
न्यूयार्क के एक विशेषज्ञ ने बताया— कोरोना वायरस मुख्य तौर पर रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी फेफड़ों पर असर डालता है लेकिन समय के साथ शरीर के दूसरे अंगों जैसे मस्तिष्क, हृदय, गुर्दा Kidney आदि पर भी इसका गंभीर असर होता है।
वायरस रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट तक पहुंचता है
दिसंबर में चीन के वुहान शहर में कोरोना के शुरुआती मामले आने पर वैज्ञानिकों ने माना कि ये वायरस भी कोरोना फैमिली के दूसरे पैथोजन की ही तरह फेफड़ों पर ही असर डालता है। लेकिन अब इस वायरस का असर चौंका रहा है। कोविड-19 के गंभीर लक्षणों वाले मरीजों में न केवल फेफड़े, बल्कि दूसरे अंग भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं।
न्यूयॉर्क में Northwell Health के डायरेक्टर Dr. Eric Cioe-Peña के मुताबिक नाक, मुंह या आंखों से होते हुए वायरस रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट तक पहुंचते हैं और वहां से फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। इसके बाद का वायरस का सफर और खतरनाक होता है क्योंकि ये सीधे खून के जरिए शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंच जाते हैं। डॉक्टर एरिक कहते हैं कि COVID-19 के गंभीर मरीजों में दिल में वायरस इंफेक्शन दिख रहा है। बहुत से मरीज, जिनमें हार्ट की कोई समस्या नहीं रही थी, कोरोना इंफेक्शन के बाद दिल के दौरे से उनकी मौत हो गई। ऐसा ही असर किडनी Kidney पर दिखा। जहां Kidney फेल होने से मरीजों की जान चली गयी।
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डायलिसिस मशीनों की भी ज़रूरत
इसलिए कोरोना के गंभीर मरीज़ों को बचाने में सिर्फ़ वेंटिलेटर ही नहीं, बल्कि अब Kidney की डायलिसिस मशीन की भी उतनी ही ज़रूरत महसूस की जा रही है। अब तक इस पर ज़ोर रहा था कि गंभीर स्थिति में वेंटिलेटर ही काफ़ी महत्वपूर्ण होता है। फ़िलहाल, कोरोना मरीज़ों में किडनी फ़ेल होने के मामले काफ़ी ज़्यादा आ रहे हैं और अमेरिका Kidney की डायलिसिस मशीनों की कमी के गंभीर संकट का सामना कर रहा है।
डायलिसिस मशीन किडनी का काम करती है
किडनी ख़राब होने की स्थिति में डायलिसिस मशीन Kidney का काम करती है। किडनी की तरह ही यह ख़ून से टॉक्सिन यानी विषाक्त पदार्थों को साफ़ करती है। इसके साथ ही इलेक्ट्रोलाइट्स सहित ख़ून में मौजूद दूसरी जीचों को संतुलित करती है, रक्तचाप को नियंत्रित रखती है और अतिरिक्त तरल पदार्थ को हटाती है। जब तक किडनी ठीक न हो जाए तब तक डायलिसिस का उपयोग कुछ समय के लिए किया जाता है या फ़िर किडनी ख़राब होने की स्थिति में इसका इस्तेमाल लंबे समय तक किया जाता है।
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किडनी फ़ेल होने की रिपोर्टें आना चिंताजनक
हाल तक माना यह जा रहा था कि वायरस फेफड़े को प्रभावित करता है, न्यूमोनिया हो सकती है और साँस की गंभीर बीमारी भी हो सकती है। ऐसे में मरीज़ों को आईसीयू में रखने की ज़रूरत होती है। चीन में जब इस वायरस ने ज़ोर पकड़ा था तब से ही कोरोना के गंभीर मरीज़ों में किडनी फ़ेल होने की रिपोर्टें आ रही थीं। लेकिन तब उस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया। जब इटली और यूरोप के दूसरे देशों तक मामला बढ़ा तब किडनी की डायलिसिस मशीनों की ज़रूरत ज़्यादा महसूस हुई। लेकिन अब असल संकट अमेरिका में दिख रहा है। एक समय इटली में जैसी स्थिति वेंटिलेटर की कमी से हो गई थी वैसी स्थिति अमेरिका में अब किडनी की डायलिसिस मशीनों की होती दिख रही है। इटली में तब डॉक्टरों के सामने यह चुनने की नौबत आ गई थी कि कोरोना के किस मरीज़ को वेंटिलेटर मुहैया कराया जाए और किसे मरने के लिए छोड़ दिया जाए। हालाँकि बाद में इटली ने बड़ी संख्या में वेंटिलेटर ख़रीदे और अब वैसी स्थिति नहीं है।
ख़तरे की घंटी
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की एक रिपोर्ट कहती है कि डॉक्टरों ने इस ख़तरे की घंटी की ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा है कि कोरोना मरीज़ों की संख्या बढ़ने के साथ ही कोरोना के मरीज़ों में किडनी ख़राब होने के मामले काफ़ी ज़्यादा आ गए हैं और अब मशीनें तो कम पड़ ही रही हैं, इसको चलाने वाले प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी भी कम पड़ रहे हैं।
अमेरिका में किडनी विशेषज्ञों का आकलन है कि अब तक जो आँकड़े आए हैं उसके विश्लेषण से पता चलता है कि जिन 5 फ़ीसदी लोगों को वेंटिलेटर की ज़रूरत पड़ती है उनमें से 20-40 फ़ीसदी मरीज़ों की किडनी फ़ेल हो रही है।
साफ़ नहीं है कि किडनी को स्थायी नुक़सान पहुँचता है या तात्कालिक
डॉक्टरों के सामने एक उलझन यह भी है कि उन्हें अभी यह पता नहीं है कि क्या वायरस सीधे किडनी पर हमला करा रहा है या फिर कोरोना वायरस के कारण शरीर इतना कमज़ोर हो जा रहा है कि एक के बाद एक अंग फ़ेल हो रहे हैं और किडनी फ़ेल होना भी बस एक ऐसा ही मामला भर है। यह भी साफ़ नहीं है कि वायरस के कारण किडनी को स्थायी नुक़सान पहुँचता है या फिर तात्कालिक।
ऐसे में भारत के सामने संकट बड़ा है जब बड़ी संख्या में लोग कोरोना वायरस की चपेट में आएँगे तो क्या भारत को भी बड़ी संख्या में डायलिसिस मशीनों की ज़रूरत पड़ेगी? भारत में वैसे भी डायलिसिस मशीनों की कमी है।
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