विश्वनाथ मंदिर प्रशासन निकलेगा पारंपरिक पालकी यात्रा, महंत परिवार में विवाद के चलते लिया निर्णय

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वाराणसी – श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन खुद महादेव की चल प्रतिमा की पारंपरिक यात्रा निकालेगा. मंदिर के इतिहास में पहली बार सावन पूर्णिमा पर महंत आवास से बाबा विश्वनाथ की पालकी यात्रा मंदिर नहीं जाएगी. महंत परिवार में दो पक्षों के विवाद को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने यह फैसला किया है. हालांकि महंत परिवार की ओर से आवास पर झूलनोत्सव की तैयारियां की जा रही हैं.

मंदिर प्रशासन की ओर से जारी बयान के अनुसार, धाम कॉरिडोर निर्माण से पहले मंदिर क्षेत्र में स्थित स्थानीय चल प्रतिमा का प्रयोग शोभायात्रा के लिए किया जाता था. श्री काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निर्माण के समय मंदिर क्षेत्र से अन्यत्र जाते समय दो परिवारों ने चल प्रतिमा को साथ ले जाने का दावा किया था. स्व. डॉ. कुलपति तिवारी के जीवनकाल में चल प्रतिमा की शोभायात्रा मंदिर तक लाने पर आपत्ति नहीं की गई. हालांकि उनके भाई लोकपति तिवारी हमेशा इस पर आपत्ति करते रहे.

जानें क्या है विवाद…

पूर्व महंत कुलपति तिवारी के निधन के बाद उनके बेटे वाचस्पति तिवारी और दूसरे पक्ष से लोकपति तिवारी ने अलग-अलग पत्र भेजा गया है. इससे पता चला कि परिवार की दो शाखाओं का असली मूर्ति और श्रृंगार परंपरा के निर्वहन के संबंध में आपस में विवाद है. दोनों की तरफ से मूल प्रतिमा पर कब्जे और परंपरा के असली दावेदार होने के परस्पर विरोधाभासी दावे किए गए. दोनों पक्षकार बनकर कोर्ट में केस भी लड़ रहे हैं.

एक तरफ वाचस्पति तिवारी इसे वशांनुगत निजी परंपरा घोषित करने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि उनके चाचा लोकपति तिवारी बड़ी पीढ़ी का अधिकार बता रहे हैं. इस पर मंदिर प्रशासन ने कानूनी सलाह ली और तय किया कि बाहर की कोई भी मूर्ति मंदिर परिसर में नहीं आने दी जाएगी. मंदिर प्रशासन ने भव्य मूर्ति तैयार कराई है. इसी मूर्ति के साथ भव्य शोभायात्रा की परंपरा आगे बढ़ाई जाएगी. मंदिर परिसर में ही झूलनोत्सव भी होगा.

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न्यास ने पारिवारिक विवाद बढाई दूरी…

मंदिर प्रशासन का कहना है कि सामान्यतः ऐसे मामलों में पक्षकार मंदिर को भी कोर्ट में पार्टी बनाकर अनावश्यक उलझाते हैं, जो मंदिर के लिए उचित नहीं है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ऐसे किसी पारिवारिक विवाद से दूर रहना चाहता है. विवाद से पर्व को संपन्न कराने में बाधा आती है. मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों को भी असुविधा होती है. मंदिर न्यास के पास स्वयं की मूर्ति, पालकी आदि की समस्त व्यवस्था और संसाधन हैं.

इससे प्रचलित परंपरा का पूर्ण निर्वहन मंदिर प्रांगण के भीतर ही किया जाएगा. श्री काशी विश्वनाथ धाम क्षेत्र के भीतर ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास मंदिर की स्वयं की चल प्रतिमा से श्रावण मास के अंतिम सोमवार को होने वाले झूला श्रृंगार का परंपरागत निर्वहन किया जाएगा.

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इसकी पूरी तैयारी की जा चुकी है. ट्रस्ट के विद्वान अध्यक्ष एवं विद्वतजन की उपस्थिति में पूजा उपरांत शोभायात्रा मंदिर प्रांगण के अंदर ही गर्भगृह तक आयोजित की जाएगी. इस संबंध में मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति अपने घर की किसी मूर्ति या उसकी पूजा को मंदिर से संबंधित बताता है तो यह पूरी तरह से भ्रामक है. मंदिर न्यास का बाहरी मूर्तियों या किसी के घर व परिवार द्वारा की जा रही उनकी पूजा से कोई सरोकार नहीं है. मंदिर न्यास सावन के अंतिम सोमवार यानी 19 अगस्त को पहले से भी भव्य रूप से अपनी स्वयं की चल प्रतिमा के द्वारा बाबा विश्वनाथ के झूलनोत्सव मनाएगा. किसी निजी व्यक्ति की मूर्ति मंदिर परिसर में नहीं आने दी जाएगी। इसपर सख्ती से रोक लगाई गई है.

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