गरीबों और वंचितों के नेता थे Karpuri Thakur…

पीएम ने कर्पूरी ठाकुर के बेटे से बात कर किया याद

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Karpuri Thakur: भारत सरकार ने बीते मंगलवार को बड़ा फैसला लेते हुए दिग्गज नेता , जननायक और बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत दिए जाने की घोषणा की है. केंद्र सरकार इस फैसले को कर्पूरी ठाकुर के समर्थन एक बड़े तोहफे के तौर पर देख रहे हैं, क्योंकि आज देश कर्पूरी ठाकुर की 100 वीं जयंती मना रहा है. आज पीएम मोदी ने उनके बेटे रामनाथ ठाकुर को फोन करके बधाई दी और कर्पूरी ठाकुर को याद किया.

ऐसे में जब देश कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती मना रहा है, ऐसे में इस दिग्गज नेता को याद करते हुए उनकी सादगी और सामाजिक न्याय को समर्पितता याद आती है. इसके कई सारे किस्से समाज में मशहूर हैं. लोग कर्पूरी ठाकुर को गरीब और वंचितों का नेता मानते थे. यही वजह थी कि वे अपने समय के काफी लोकप्रिय नेताओं में से एक हुआ करते थे. आइए जानते हैं उनके व्यक्तित्व से जुड़ी कुछ खास बातें….

सादगी और सामाजिक न्याय को समर्पित रहे

कर्पूरी ठाकुर का पूरा जीवन सादगी और सामाजिक न्याय को समर्पित रहा. जीवनपर्यंत तक वह सरल जीवनशैली और विनम्र स्वभाव के कारण आम लोगों से बहुत करीब रहे. उनकी सादगी के कई किस्से बताए जाते हैं. उनके साथ काम करने वाले लोग याद करते हैं कि कैसे वह इस बात पर जोर देते थे कि उनके किसी भी व्यक्तिगत काम में सरकार का एक पैसा भी इस्तेमाल न हो.

कोई आवास नहीं खरीदा

इसको लेकर एक वाक्या सामने आता है जो बिहार में उनके सीएम रहने के दौरान हुआ. तब राज्य के नेताओं के लिए एक कॉलोनी बनाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन उन्होंने उसमें अपने लिए कोई जमीन नहीं खरीदी. इसको लेकर जब उनसे पूछा गया कि आप जमीन क्यों नहीं ले रहे हैं तो वह विनम्रता के साथ हाथ जोड़ लिया करते. उनके निधन पर नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो उनका घर देखकर नेताओं के आंसू आ गए. लोग सोचने लगे कि इतने ऊंचे पद पर होने के बाद इतने साधारण तरह से कोई कैसे रह सकता है.

लोकतंत्र के लिए रहे समर्पित

डेमोक्रेसी, डिबेट और डिस्कसन तो कर्पूरी ठाकुर की व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा था. लोकतंत्र के लिए उनका समर्पण भाव, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ही दिख गया था. इसमें उन्होंने अपने – आप को झोंक दिया था. उन्होंने देश पर जबरन थोपे गए आपातकाल का भी पुरजोर विरोध किया था. इससे जेपी, डा. लोहिया और चरण सिह जैसी विभूतियां उनसे काफी प्रभावित हुई थी.

ठोस कार्ययोजना

समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए कर्पूरी ठाकुर ने एक ठोस कार्ययोजना बनाई थी. इसके साथ ही उन्हें उम्मीद थी कि एक न एक दिन इन वर्गों को भी उचित प्रतिनिधित्व और अवसर प्राप्त होंगे. हालांकि उनके इस कदम का काफी विरोध किया गया था. लेकिन वह दबाव के आगे झुके नहीं. उनके नेतृत्व ने समावेशी समाज को मजबूत नींव दी. वह समाज का निम्न वर्ग से आते थे लेकिन उन्होंने हर वर्ग के लिए काम किया.

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संघर्ष की सशक्त आवाज

1950 के दशक में वह राज्य के सदन में ताकतवर नेता के रूप में उभरे. वह श्रमिक वर्ग, मजदूर, छोटे किसानों और युवाओं के संघर्ष की सशक्त आवाज बने. शिक्षा एक ऐसा विषय था, जो कर्पूरी ठाकुर के ह्रदय के सबसे करीब था. उन्होंने पूरे राजनीतिक जीवन में गरीबों को शिक्षा मुहैया कराने में कोई कोर कर नहीं छोडी. वह स्थानीय भाषाओं में शिक्षा देने के परोपकार थे,ताकि गांवों और छोटे शहरों के लोग भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और सफलता की सीढ़ियां चढ़ें. सीएम रहते हुए उन्होंने बुजुर्ग नागरिकों के कल्याण के लिए भी कई अहम कदम उठाए.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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