कर्नाटक चुनाव : कांग्रेस-बीजेपी ने पेश किया सरकार बनाने का दावा
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के अब तक आए रुझान और नतीजों में BJP के बहुमत के पास आकर अटकने से स्थिति बेहद रोचक हो गई है। कांग्रेस ने मौके पर चौका मार बीजेपी को सत्ता हासिल करने से रोकने के लिए बड़ा दांव चला है। उसने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। इस बीच बीजेपी ने भी सक्रिय होते हुए सीएम पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा को राज्यपाल से मिलने भेज दिया। येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मिलने के बाद सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। बीजेपी ने कहा है कि वो सदन में बहुमत पेश करेगी।
देवगौड़ा ने ऑफर स्वीकार कियाः आजाद
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने देवगौड़ा और कुमारस्वामी से बात की है। उन्होंने हमारे ऑफर को स्वीकार कर लिया है। उम्मीद है कि हम साथ होंगे। कांग्रेस के नेता जी. कि हमने देवगौड़ा और कुमारस्वामी से बात की है। उन्होंने हमारे ऑफर को स्वीकार कर लिया है। उम्मीद है कि हम साथ होंगे। कांग्रेस के नेता जी. परमेश्वर ने कहा है, ‘हम जनादेश को स्वीकार करते हैं। उसके समक्ष नतमस्तक हैं। सरकार बनाने के लिए हमारे पास आंकड़े नहीं है। ऐसे में कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए जेडीएस को समर्थन देने की पेशकश की है।’ कांग्रेस के नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि हम (कांग्रेस और जेडीएस) संयुक्त रूप से आज शाम को गवर्नर से मुलाकात करेंगे। हालांकि सूत्रों का कहना है कि गवर्नर ने कहा है कि वह तब तक किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं करेंगे, जब तक चुनाव आयोग की ओर से नतीजों की पूरी जानकारी नहीं मिल जाती।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के रुझान जैसे-जैसे आए बीजेपी के खेमे में खुशी की लहर दौड़ती गई, लेकिन दोपहर आते-आते बहुमत का पेच फंस गया। एक समय रुझानों में बहुमत के 112 के आंकड़े को पार कर चुकी बीजेपी फिलहाल 107 सीटों पर ही आगे चल रही है। इस तरह वह बहुमत के आंकड़े से 6 सीट दूर नजर आ रही है। इस बीच 72 सीटों पर आगे चल रही कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है और बीजेपी को रोकने के लिए 41 सीटों पर चल रही जेडीएस को सीएम उम्मीदवारी की पेशकश भी कर सकती है। खबरों के मुताबिक कर्नाटक के नतीजों को लेकर सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद से बात भी की है।
222 सीटों पर हुआ था चुनाव
आपको बता दें कि राज्य में विधानसभा की कुल 225 सीटें हैं जिनमें से 224 पर विधायकों का निर्वाचन होता है जबकि एक सीट पर सदस्य का मनोनयन किया जाता है। 1985 के बाद से कर्नाटक की जनता ने किसी भी राजनीतिक दल पर लगातार दो बार भरोसा नहीं जताया है। अंतिम बार रामकृष्ण हेगड़े की अगुआई में जनता दल की लगातार दूसरी बार सरकार बनी थी। इस बार भी साफ दिख रहा है कि जनता ने कांग्रेस की मौजूदा सरकार के खिलाफ वोट किया है। कांग्रेस दूसरे नंबर पर सिकुड़ती दिख रही है।
अगर बीजेपी को बहुमत मिलता है तो यह 2019 लोक सभा चुनाव से पहले माने जा रहे इस सेमीफाइनल में उसकी बड़ी जीत मानी जाएगी। इससे आगे की दिशा भी तय होगी और बीजेपी के पक्ष में माहौल तैयार होगा। बीजेपी के पक्ष में आए नतीजों से साफ हो जाएगा कि पीएम मोदी का जादू बरकरार है और उनके ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार का बड़ा असर हुआ है। आपको बता दें कि पोल्स में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना जताई गई थी और बीजेपी व कांग्रेस में कड़ी टक्कर देखी जा रही थी।
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कुछ सीटें कम पड़ीं तो..
अगर बहुमत में कुछ सीटें कम पड़ती हैं तो सरकार बनाने के लिए बीजेपी को पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी JD(S) का समर्थन हासिल करना पड़ सकता है। हालांकि 2-4 सीटों की कमी पर निर्दलीयों का भी समर्थन हासिल कर सरकार बनाने की पहल की जा सकती है। शुरुआती रुझानों को देख कांग्रेस ने कहा है कि सभी विकल्प खुले हुए हैं।
222 सीटों पर हुआ था मतदान
आपको बता दें कि 12 मई को 222 सीटों पर मतदान हुआ था। एक सीट पर मतदान बीजेपी प्रत्याशी और वर्तमान विधायक बी एन विजयकुमार के निधन के चलते स्थगित कर दिया गया। बेंगलुरु के आरआर नगर में एक घर से हजारों की तादाद में सामने आए फर्जी आईकार्ड के मामले को देखते हुए चुनाव आयोग ने यहां वोटिंग को टाल दिया है।
बीजेपी के लिए दक्षिण का द्वार
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि कर्नाटक पार्टी के लिए दूसरी बार दक्षिण में कदम रखने का द्वार होगा। कर्नाटक में बीजेपी को सिर्फ एक बार 2008 से 2013 तक सत्ता में रहने का मौका मिला था, लेकिन पार्टी का कार्यकाल अंदरुनी कलह और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा रहा।
महज पांच वर्षों में पार्टी की ओर से तीन मुख्यमंत्री बनाए गए, जिनमें से एक फिलहाल पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा हैं, भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल भी जा चुके हैं। 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने 122 सीटें जीती थीं। बीजेपी और जेडीएस को 40-40 सीटें मिली थीं।