कपिल ने लिखा केजरीवाल को खून से खत, ये है वजह…
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा(Kapil Mishra) ने NGT में सुनवाई के दौरान लैंडफिल का विरोध करने को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल और सीएम अरविंद केजरीवाल को खून से खत लिखा है। पत्र में कपिल ने लिखा है कि अगर सुनवाई के दौरान DDA और EDMC के वकीलों ने गुरुवार को इसका विरोध नहीं किया तो वह 5 मई से आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। बता दें कि गुरुवार को NGT में कपिल की लैंडफिल के विरोध में दायर याचिका की सुनवाई होगी।
खून की आखिरी बूंद तक वह लैंडफिल के खिलाफ संघर्ष करेंगे
कपिल ने अपने पत्र में लिखा है कि खून की आखिरी बूंद तक वह लैंडफिल के खिलाफ संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा, ‘अगर दिलीप पांडेय या AAP के किसी नेता को लगता है कि केजरीवाल सरकार उनकी बात नहीं सुनती तो वो भी उनके साथ अनशन पर बैठ सकते हैं।
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एनजीटी में दी थी चुनौती
उल्लेखनीय है कि ईस्ट एमसीडी को प्रस्तावित लैंडफिल साइट के लिए सोनिया विहार और घोंडा गुजरान में जमीन आवंटन किए जाने के डीडीए के फैसले को AAP और स्थानीय विधायक कपिल मिश्रा दोनों ने एनजीटी में चुनौती दी थी। दोनों ने अलग-अलग याचिका दायर कर आवंटन से जुड़े संबंधित फैसले को रद्द करने और आसपास के इलाके की स्टडी कराने की मांग की है।
आप की तरफ से 5 लोगों ने दायर की है याचिका
आप की ओर से दिलीप कुमार पांडे समेत पांच लोगों ने याचिका दायर की है। इसमें मांग है कि केंद्र और डीडीए समेत संबंधित पक्षों को संबंधित इलाके के पर्यावरण से छेड़छाड़ किए जाने से रोका जाए। डीडीए को जमीन आवंटन रद्द करने और डीपीसीसी और सीपीसीबी समेत संबंधित अथॉरिटीज को इलाके की इम्पैक्ट स्टडी करने का निर्देश दिया जाए। जबकि मिश्रा ने उक्त मांगों के साथ इस फैसले के लिए डीडीए पर जुर्माना लगाए जाने की अतिरिक्त मांग भी रखी है।
प्रॉजेक्ट की वजह से इको सिस्टम पर बुरा प्रभाव
आप ने कहा है कि डीडीए ने ऐसा करके न केवल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 का उल्लंघन किया है, बल्कि ईस्ट एमसीडी को यमुना के ऐक्टिव फ्लडप्लेन पर जमीन आवंटित कर दी है। उनके मुताबिक, इस प्रॉजेक्ट की वजह से संबंधित इलाके के पूरे ईको सिस्टम और ईकॉलजी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इसके आसपास घनी आबादी वाली तमाम कॉलोनियां और गांव बसे हैं।
उन्होंने यह भी कहा है कि प्रस्तावित जमीन पर लैंडफिल साइट के निर्माण के लिए ईस्ट एमसीडी को सीपीसीबी, एनईईआरआई और डीडीए से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, जो गलत और झूठे तथ्यों के आधार पर दी गई। मिश्रा ने आरोप लगाया है कि ईस्ट एमसीडी ने जानबूझकर यह तथ्य छिपाया कि संबंधित इलाका यमुना का ऐक्टिव फ्लडप्लेन है और मास्टर प्लान के तहत ‘O’ जोन में आता है, जहां किसी तरह के विकास कार्य की इजाजत नहीं होती। यह भी कहा कि बाढ़ आने पर यह इलाका पानी से पूरी तरह भर जाता है। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, मिश्रा की याचिका पर 3 मई को सुनवाई की संभावना है जबकि आप की याचिका अभी स्क्रूटनी पर लगी है।