मानवता: दारोगा ने बुजर्ग महिला को खाना खिलाया, फिर उनको घर तक पहुंचाया

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यूपी पुलिस की छवि किसी की नज़रों में अच्छी है तो किसी की नज़रों में बुरी. लेकिन, हर पुलिस वाले एक जैसे नहीं होते. इसकी एक बानगी कानपुर पुलिस के दारोगा हरेंद्र सिंह ने पेश की. उन्होंने ऐसा कार्य किया, जिससे पता चलता है कि मानवता आज भी जिंदा है. दरअसल, कानपुर में बिधनू हाईवे के किनारे कड़ी धूप में जमीन पर पड़ी बुजुर्ग महिला भूख, प्यास और तेज धूप से तड़प रही थी. वहां से लोग गुजर रहे थे, लेकिन किसी ने उसकी सुध नहीं ली. तभी वहां से गुजर रहे बिधनू थाने के दारोगा हरेंद्र सिंह की नजर उस बुजुर्ग महिला पर पड़ी.

दारोगा हरेंद्र सिंह ने बाइक रोककर उन्हें गोद में उठाया और एक छप्पर की छांव तक ले गए. भूख प्यास से तड़प रही बुजुर्ग महिला को पानी पिलाया और पास के ढाबे से दाल-रोटी मंगाई. रोटी का निवाला खाते-खाते वह रोने लगीं तो हरेंद्र ने उन्हें अपने हाथों से कौर खिलाया. 75 वर्षीय वृद्धा ने अपनी कमजोर आवाज से दारोगा के लिए दुआएं तो निकली पर उनके लफ्जों में दर्द भरा था.

कुछ हालत सुधरने पर बुजुर्ग महिला ने अपना नाम बशीरगंज बकरमंडी थाना बजरिया निवासी कुदसिया बताया. यह सुन पुलिसकर्मी हैरान हो गए, क्योंकि जिस जगह वह खड़े थे, वहां से कुदसिया का घर करीब 20 किलोमीटर था. बुजुर्ग महिला का यहां अकेले पहुंचना असंभव था. कुदसिया ने बताया कि उनके पति फैमुद्दीन का 5 वर्ष पहले इंतकाल हो गया था. कोई संतान न होने से मकान के एक कमरे में वह अकेले रहती हैं. पारिवारिक सदस्य खाना खिला देते हैं.

इसके बाद दारोगा ने बजरिया थाने में संपर्क कर कुदसिया के बताए पते की जानकारी करवाई. पते की पुष्टि होने पर महिला सिपाहियों के साथ उनको घर पहुंचाया गया. पड़ोस में रहने वाले पारिवारिक पौत्र अर्सलान मिसबाहुद्दीन अहमद की देखरेख में कुदसिया को सुपुर्द कर दिया गया. पड़ोसियों ने बताया कि सोमवार शाम से वह अचानक लापता हो गईं थी. लोगों ने सोचा वह आसपास ही कहीं होंगी, इसलिए उन्हें खोजा नहीं गया. वो 20 किमी दूर कैसे पहुंचीं यह कोई नहीं बता सका.

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