16 वर्षों से फरार कैदी और 25 हजार का इनामिया एसटीएफ के हत्थे चढ़ा
बस्ती जिले का रहनेवाला है सुरेश मिश्रा, हत्या के मामले में उसे हुई है आजीवन कारावास की सजा
पुलिस कस्टडी से 16 वर्षों से फरार, आजीवन कारावास की सजा पाए और 25 हजार के इनामिया को मंगलवार को एसटीएफ की वाराणसी फील्ड इकाई ने गिरफ्तार कर लिया. उसका नाम सुरेश मिश्रा उर्फ लाल बहादुर राम है और वह नौ अक्टूबर 2008 को कबीरचौरा स्थित मंडलीय चिकित्सालय से पुलिस को चकमा देकर भाग गया था. सुरेश मिश्रा बस्ती जिले के हरैया थाना क्षेत्र के महराजगंज मिसिर गंजा का निवासी है. एसटीएफ ने उसे कैंट स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर नौ के पीछे से मुखबिर की सूचना पर गिरफ्तार किया. उसके पास से उसका मोबाइल बरामद हुआ है.
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जानकारी के अनुसार एसटीएफ के निरीक्षक पुनीत परिहार नेतृत्व में सुरेश मिश्रा की तलाश की जा रही थी. इसी दौरान मुखबिर से पता चला कि 16 वर्षों से पुलिस अभिरक्षा से फरार हत्याकांड में आजीवन कारावास का सजायाफ्ता व 25 हजार रूपये का पुरस्कार घोषित सुरेश मिश्रा कैंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर 9 के पीछे मौजूद है. इसके बाद टीम पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार सुरेश ने पूछताछ पर बताया कि उसके सगे पट्टीदार रामाशीष मिश्रा से उसका जमीन सम्बन्धी विवाद काफी समय से चला आ रहा था. 12 फरवरी 2001 को बांस काटने की बात को लेकर दोनों पक्षों में विवाद हो गया. इस दौरान रामाशीष के पक्ष से आये विनोद मिश्रा पुत्र गजराज मिश्रा की उसने चाकू घोंपकर हत्या कर दी. इस मामले में बस्ती जिले के हरैया थाने में धारा 302, 323, 504 के तहत सुरेश मिश्रा व उसके भाई रामसागर मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. इस मामले में स्थानीय पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इस हत्याकाण्ड में न्यायालय द्वारा 24 मार्च 2007 को सुरेश मिश्रा को आजीवन कारावास और 20 हजार रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई.
दिल्ली में लाल बहादुर राम बनकर रहता रहा, करता रहा राजगीर का काम
सजा सुनाये जाने के बाद सुरेश को केन्द्रीय कारागार वाराणसी में निरूद्ध किया गया था. वर्ष 2008 में इसे पीलिया रोग हो गया. इसके ईलाज के लिये जेल सुरक्षाकर्मियों की अभिरक्षा में कोतवाली थाना क्षेत्र के कबीरचौरा स्थित राजकीय मण्डलीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था. इसके बाद 9 अक्टूबर 2008 को सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर वह अस्पताल से फरार हो गया. उसकी फरारी के मामले में कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था. कैदी सुरेश ने एसटीएफ को बताया कि अस्पताल के फरार होने के बाद दिल्ली जाकर लाल बहादुर राम के नाम से रहने लगा. वह वहीं पर राजगीर का काम करने लगा. फिर वह नाम और पता बदल-बदल कर अलग-अलग स्थानों पर रहता रहा. इधर, कोतवाली पुलिस उसकी तलाश करती रही लेकिन उसका पता नही चला. बाद में वाराणसी पुलिस प्रशासन ने उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार रूपये का इनाम घोषित कर दिया था. मंगलवार को वह निजी कार्य से वाराणसी आया था तभी एसटीएफ ने उसे पकड़ लिया.