ये हैं कलयुग के श्रवण कुमार
हर मां-बाप की ख्वाहिश होती है कि उनका बेटा श्रवण कुमार जैसा हो, लेकिन आधुनिकता की इस दौर में श्रवण कुमार की कहानी किताबों या ग्रंथों तक सिमटती जा रही है। इस सबके बीच मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में रहने वाले कैलाश गिरी आधुनिकता के दौर में मातृ भक्ति की एक मिसाल हैं। अपनी बूढ़ी मां की इच्छा पूरी करने के लिए वे उन्हें कांवर में बैठाकर अपने कंधों पर लादे तीर्थयात्रा कराते घूम रहे हैं। उनका यह सिलसिला पिछले 20 बरसों से जारी है। कैलाश को लोग कलयुग के श्रवण कुमार की उपाधि दे रखी है।
20 सालों से जारी है सफर
कैलाश गिरी(45) की मां कीर्ती देवी नेत्रहीन हैं। उनकी मां की ख्वाहिश थी कि वो पैदल चार धाम की यात्रा करें, मगर 90 वर्षीय मां इतना लंबा सफर करने में असमर्थ हैं। इसलिए कैलाश उन्हें तीर्थ यात्रा करा रहे हैं। कैलाश ने यह यात्रा दो फरवरी 1996 को हिनौता पिपरिया क्षेत्र जबलपुर से शुरू किया था और यह सिलसिला अभी भी जारी है। कैलाश पिछले 20 सालों के दौरान करीब 40 हजार किलोमीटर से अधिक का सफर तय कर चुके हैं।
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कई तीर्थ स्थलों का कराया यात्रा
कैलाश 15 वर्ष की आयु में एक पेड़ से गिर गए थे, जिससे उनका पैर टूट गया था। कैलाश के मुताबिक, उन्होंने अपने पैर का कोई इलाज नहीं करवाया, बल्कि मां के आशीर्वाद से ही वे ठीक हो गए। इस सफर के दौरान उन्होंने अपनी मां को चार धाम की यात्रा, नर्मदा नदी की यात्रा, काशी, अयोध्या, चित्रकूट, इलाहाबाद, रामेश्वरम, उड़ीसा, गंगासागर, जनकपुरी, बद्रीनाथ, केदारनाथ, ऋषिकेश, हरिद्वार, पुष्कर, द्वारिका, नागेश्वर, सोमनाथ, महाकाल, पंचमढ़ी,गोकुल, वृंदावन, बरसाना और गोवर्धन की यात्रा करा चुके हैं।
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