जिउतिया व्रत में मछली का है खास महत्व
अपने पुत्र की मंगल कामना करते हुए महिलाएं जिउतिया व्रत का उपवास रखती हैं। इस व्रत को मुख्य रुप से महिलाएं बिहार और उत्तर प्रदेश में रखती हैं।
जीवित्पुत्रिका या जिउतिया व्रत के दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास करके अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती हैं।
उपवास की शुरुआत मछली खान से-
हिंदू धर्म में पूजा पाठ के दौरान आमतौर पर मांसाहार करना वर्जित माना जाता है लेकिन बिहार के कई क्षेत्रों में जिउतिया व्रत के उपवास की शुरुआत मछली खाने से होती है।
इस मान्यता के पीछे चील और सियार से जुड़ी जिउतिया व्रत की एक पौराणिक कथा है। इसके अलावा नहाय खाय के दिन गेंहू की जगह मरुए के आटे से बनी रोटी बनाने की भी परंपरा काफी प्रचलित है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है। बिहार के मिथिलांचल में तो इस व्रत में मरुआ के आटे की रोटी के साथ झिंगनी की सब्जी और नोनी का साग बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है।
पुत्र के लिए रखा जाता है व्रत-
महिलाएं अपने पुत्र की बेहतर सेहत और लंबी उम्र के लिए जितिया व्रत का उपवास करती हैं। यह व्रत खासतौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश में रखा जाता है।
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