आभूषण व्यवसायी के 50 लाख लेकर फरार इनामी गिरफ्तार

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आभूषण व्यवसायी के 50 लाख रूपये लेकर फरार एक आरोपित दीपक झा को वाराणसी के सिगरा थाने की पुलिस ने बुधवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उसके पास से 42 लाख रूपये बरामद किये हैं. दीपक बिहार के मधुबनी जिले के सरसोंपाही गांव का निवासी है. वह मलदहिया स्थित आभूषण की दुकान का कर्मचारी था और विनायका क्षेत्र में किराये के आवास में रहता था. पुलिस प्रशासन ने उसकी गिरफ्तारी पर 20 हजार रूपये का इनाम घोषित किया था. पुलिस इस मामले में लिप्त दीपक के दूसरे साथी हर्ष की तलाश कर रही है.

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डीसीपी काशी जोन आरए एस गौतम ने अपने कार्यालय में आरोपित को मीडिया के सामने पेश किया. बताया कि दीपक झा मलदहिया स्थित आभूषण की दुकान का कर्मचारी था. दुकान के मालिक नरसिंह अग्रवाल ने पूर्व की भांति अपने कर्मचारी दीपक झा और हर्ष कुमार सोनी को बैंक में 50 लाख रूपये जमा करने के लिए भेजा. दोनों स्कूटी से बैंक के लिए निकले. जब एक घंटे तक वापस नही आये तो दुकान मालिक ने उनके मोबाइलों पर फोन किया. दुकान मालिक उनके मोबाइलों पर लतातार सम्पर्क करने का प्रयास करता रहा लेकिन स्विच आफ की ही जानकारी मिलती रही. तब मालिक को संदेह हो गया. इसके बाद उसने कर्मचारी दीपक झा के पिता से फोन पर बात की. पिता ने पैसे वापस करने का आश्वासन दिया तो दुकानदार कुछ नरम हो गया. फिर दूसरे दिन दुकान मालिक के फोन करने पर उसे धमकी दी जाने लगी. इसके बाद दुकान मालिक ने सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया.

ट्रेन से उतरने के बाद ही दबोच लिया गया दीपक

सर्विलास टीम और सिगरा थाने की पुलिस दोनों आरोपितों की तलाश कर रही थी. सर्विलांस से जानकारी मिली कि दीपक झा नीलगिरी एक्सप्रेस ट्रेन से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर आनेवाला है. इसके बाद पुलिस ट्रेन आने से पहले जंक्शन पर मौजूद हो गई. जैसे ही ट्रेन आई और आरोपित अपनी बोगी से बाहर निकला तो पुलिस ने दीपक को धर दबोचा. शायद दीपक को अपनी साजिश के तहत यह अहसास भी नही रहा होगा कि अत्याधुनिक संसाधनों से लैस पुलिस उसकी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थी. वह जंक्शन पर उतरकर होटल में ठहरने की योजना बनाकर चला था. लेकिन होटल तो क्या स्टेशन से बाहर निकलने से पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. दीपक झा ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि दुकान मालिक के यहां काम करते समय उन्हें परिवार की कई आवश्यकताएं पूरी करनी होती है. लेकिन उधार के रूप में पैसे मांगने पर दुकान मालिक वेतन से पैसे काटने की बात कहता था. इससे परेशान होकर हम दोनों ने मालिक के रूपये लेकर भाग जाने की योजना बनाई. दुकान मालिक ने पूर्व की तरह रथयात्रा के पास के बैंक में रूपये जमा करने के लिए 50 हजार रूपये दिये. इसके बाद मैं और हर्ष स्कूटी से बैंक के लिए रवाना हुए. लेकिन इसके कुछ देर के बाद हम अपने किराये के आवास पर पहुंचे. स्कूटी और मोबाइल वहीं छोड़कर भाग निकले.

इंटरनेट का जानकार है दीपक झा

पुलिस की पूछताछ में दीपक झा ने बताया कि मालिक के रूपये उड़ाने के बाद हमलोग कई जगहों पर धूमें जिससे कुछ रूपये खर्च हो गये. मेरे पास से बरामद 42 लाख रूपयों के अलावा बाकी रूपये हर्ष के पास हैं. उसने बताया कि नरसिंग अग्रवाल की दुकान में काम करने से पहले मैं साइबर कैफे में काम कर चुका हूं. पुलिस सर्विलांस की मदद से अपराधियों को कैसे पकड़ती है, इसकी मुझे जानकारी थी. इसलिए मैने अपने मोबाइल का इस्तेमाल नही किया और सार्वजनिक स्थानों के नये सिम के जरिए वाई-फाई इंटरनेट से अपने सगे-सम्बंधियों से बातचीत करता रहा. मालिक से पैसे मांगने पर वह वेतन से काट लेने की बात कहता था. इसके बाद हम दोनों योजना बनाकर 50 हजार रूपये ले भागे. घटना के बाद मोबाइल के सिम निकालकर हमलोगों ने तोड़ दिये थे. नया मोबाइल सिम लेकर हमलोग बनारस से इलाहाबाद और फिर दरभंगा, पटना से घूमते हुए नेपाल पहुंचे. वहां घूमने के बाद पंजाब और पाकिस्तान बार्डर पर स्थित गुरूदासपुर पहुंच गये. वहां से मैं अपने गांव जा रहा था. ट्रेन से उतरते समय पकड़ लिया गया.

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