जहां जरूरत वहां इंटरनेट शुरू हो: कश्मीर पर SC की बड़ी बातें

0

जम्मू कश्मीर में इंटरनेट बैन और लॉक डाउन पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट मौलिक अधिकार है। यह आर्टिकल-19 के तहत आता है।

जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की संयुक्त बेंच ने इस मामले पर फैसला सुनाया। साथ ही आदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर में सभी पाबंदियों पर एक हफ्ते के भीतर समीक्षा की जाए।

जस्टिस रमना ने फैसला पढ़ते हुए कश्मीर की खूबसूरती का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर ने बहुत हिंसा देखी है। इंटरनेट फ्रीडम ऑफ स्पीच के तहत आता है। नागरिकों के अधिकार और सुरक्षा के संतुलन की कोशिशें जारी है। इंटरनेट बंद करना न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है।

जम्मू-कश्मीर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले-

शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर में राज्य प्रशासन से तुरंत ई-बैंकिंग शुरू करने को कहा ताकि आम लोग बैंक से जुड़े काम निपटा सके।

ट्रेड सर्विस पर लगी रोक को भी हटाने को कहा है ​ताकि लोगों के व्यापार पर किसी तरह का असर ना हो सके।

धारा 144 को काफी लंबे समय तक लागू नहीं किया जा सकता है। इस तरह लंबे समय तक ऐसे आदेश लागू करना सत्ता का दुरुपयोग को दिखाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया है। राज्य सरकार को सभी फैसलों को सार्वजनिक करने को कहा गया है। ये कमेटी इन्हीं फैसलों का रिव्यू करेगी और रिपोर्ट देगी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर भविष्य में कहीं धारा-144 लगाई जाती है तो फिर सात दिनों के अंदर उसका रिव्यू जरूर होना चाहिए।

यह भी पढ़ें: आर्टिकल 370 के बाद मोदी सरकार का अगला एजेंडा देगा पाक को झटका

यह भी पढ़ें: अब नागरिकता संशोधन विधेयक पर पाकिस्‍तान का रोना शुरू

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More