बिल्ला नंबर 15…ये सिर्फ नंबर नहीं मंजू की पहचान है
लाल कुर्ते और काली सलवार पहने बाजुओं पर बिल्ला नंबर 15…ये नबंर अब मंजू की पहचान बन चुकी है। जयपुर रेलवे स्टेशन में एकलौती महिला कुली है मंजू देवी। कुली के तौर पर रेलवे स्टेशन पर काम करना मंजू के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। वजह थी स्टेशन पर मंजू के अलावा और कोई महिला कुली का न होना। लोगों ने अपत्ति जताई।
पति की मौत के बाद मंजू ने हिम्मत नहीं हारी
लेकिन पति की मौत के बाद परिवार के बोझ ने उनके कंधों और हौंसलों को मजबूत कर दिया। उन्होंने हार नहीं मानी और अपने पति के जगह उन्होंने भी समान ढोना शुरु कर किया। वह अपने तीन बच्चों के एक परिवार में अकेली कमाने वाली हैं। उत्तर-पश्चिम रेलवे में अन्य कुलियों की तरह वह भी ट्रेनों का इंतजार करती हैं। ट्रेन से उतरते हर एक यात्री के साथ उनकी यह उम्मीद होती है कि शायद वह उन्हें बुलाकर कह दे कि यह बताइए इस लगेज को स्टेशन के बाहर तक पहुंचाने का आप कितना पैसा लेंगी।
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मंजू देवी के पति की मौत 10 साल पहले हो गई थी। पारिवारिक झगड़ों और मानसिक तनाव के बीच उनकी मां मोहिनी ने उनका हौसला बढ़ाया, जिसके बाद देवी ने अपने मृत पति महादेव का कुली लाइसेंस नंबर. 15 हासिल किया और जयपुर रेलवे स्टेशन में यात्रियों का सामान ढोना शुरू कर दिया। अधिकारियों ने मंजू देवी को बताया कि जयपुर रेलवे स्टेशन में कोई महिला कुली नहीं है, जिसकी वजह से शायद उन्हें काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ेगा। इसके बावजूद देवी ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और उन्हें बिल्ला नंबर (बैज नंबर) दे दिया गया।
मंजू को उनके हौसले के लिए कई बार किया गया सम्मानित
धीरे-धीरे उन्हें नौकरी की हकीकत समझ आने लगी। देवी के सामने उस वक्त खुद की वर्दी (यूनिफॉर्म) तैयार करने की भी चुनौती थी। बहरहाल, तमाम दिक्कतों का सामना करते हुए आज मंजू देवी लाल कुर्ते और काले सलवार में रोज स्टेशन पहुंचती हैं और अपने परिवार के भरणपोषण के लिए यात्रियों का बोझ उठाती हैं। बता दें कि देवी उन 112 महिलाओं में से एक थीं जिन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा सम्मानित किया गया था।
इनमें पूर्व ब्यूटी क्वीन्स रहीं ऐश्वर्या राय, निकोल फारिया, पर्वतारोही बछेंद्री पाल, अंशू जमसेंपा, मिसाइल वुमन टेसी थॉमस और प्राइवेट डिटेक्टिव रजनी पंडित शामिल हैं। विभिन्न बैकग्राउंड्स से जुड़ी 90 महिलाओं के साथ मंजू देवी भी 20 जनवरी 2018 को राष्ट्रपति भवन पहुंची थीं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वह देवी के जीवन की कहानी सुनकर भावुक हो गए थे। बच्चों की खिलाने के बोझ से ज्यादा कुछ भी नहीं’देवी कहती हैं, ‘मेरा खुद का वजन 30 किलोग्राम है और मैंने यात्रियों का 30 किलो का लगेज भी उठाया है लेकिन बच्चों को खिलाने के बोझ के आगे यह कुछ भी नहीं है।’
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