चिंता की बात, देश में हो रहा इस तरह की ठगी का विस्तार
देश में ऑनलाइन ठगी का काला धंधा तेजी से पैर फैला रहा है
चिंता की बात, देश में हो रहा इस तरह की ठगी का विस्तार
देश में ऑनलाइन ठगी का काला धंधा तेजी से पैर फैला रहा है. इसका विस्तार नए-नए राज्यों में हो रहा है. आज के युवाओं में इस ठगी काचलन तेजी से बढ़ा है. इसलिए कम पढ़े-लिखे युवाओं से लेकर फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले लोग भी इस साइबर अपराध का हिस्सा बन रहे हैं. साथ ही इसके पूरे स्ट्रक्चर में भी तेजी से बदलाव आया है. अब ये धंधा पहले से ज्यादा संगठित और योजनाबद्ध है, जिससे इस धोखाधड़ी के तार देश-विदेश तक फैल रहे हैं. आइए जानते हैं इस ठगी की अतरंगी दुनिया का काला सच.
5वीं, 8वीं फेल युवा लोगो को बना रहे है बेवकूफ
आपने नेटफ्लिक्स पर 2020 में आई एक वेब सीरीज जामताड़ा जरूर देखी होगी. अगर आप क्राइम इंवेस्टिगेशन में रुचि रखते हैं तो आपको ये सीरीज काफी पसंद भी आई होगी. इसमें दिखाया गया है कि हमारे देश में कैसे 5वीं, 8वीं फेल युवा लोगों को फोन पर बेवकूफ बनाकर बड़ी ठगी को अंजाम देते हैं. ये सिर्फ एक फोन कॉल से सेकंडों में ही सामने वाले का बैंक अकाउंट खाली कर डालते हैं. झारखंड का जामताड़ा दरअसल ऐसे गुटों का सबसे बड़ा गढ़ है जहां से ये पूरे देशभर में ऐसी वारदातों को अंजाम देते हैं.
बैंक का कर्मचारी बताकर उड़ाए हजारों रुपये
अगर आप अपने आस-पास नजर दौड़ाएंगे तो आपको ऐसे कई मामले मिल जाएंगे, जिनके साथ इस तरह की धोखाधड़ी हुई होगी और कुछ मामले तो आपको लगभग एक जैसे मिलेंगे. नोएडा में रहने वाले अनूप कुमार के साथ भी कुछ दिन पहले ऐसी घटना घटी, जब दोपहर को उन्हें एक फोन आया. सामने वाली लड़की ने खुद को बैंक कर्मचारी बताया, उनके बैंक अकाउंट का KYC न होने का हवाला देते हुए, उनके डेबिट कार्ड की तमाम जानकारी हासिल कर ली. फिर जैसे ही फोन कटा उनके अकाउंट में पड़े 17,000 रुपये गायब हो गए. जिसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी अपने बैंक को दी और अकाउंट को बंद करवाया.
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बैंक और ग्राहक की लापरवाही के कारण होते है फ्रॉड
ऐसी ठगी के ज्यादातर मामले 90 प्रतिशत ग्राहक की गलती की वजह से होते हैं. जिसमें ग्राहक किसी लालचवश, डर के मारे या अनजाने में अपने बैंक से जुड़ी सभी जानकारी इस तरह के लोगों को दे देता है. लेकिन 10 प्रतिशत मामले बैंक की लापरवाही के कारण भी होते हैं जिसका फायदा ये लोग उठाते हैं. इसमें एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार करना शामिल है, लेकिन इस तरह की ठगी ज्यादातर यूपीआई के द्वारा की जाती है. ऐसे मामलों में इजाफा देखते हुए बैंक अब थोड़ा सतर्क हो गए हैं और अगर कोई नया अकाउंट खुलता है और उसमें कुछ ज्यादा पैसों की ट्रांजेक्शन देखी जा रही है तो बैंक उस अकाउंट पर पूरी नजर रखते हैं और थर्ड पार्टी के द्वारा उस व्यक्ति का प्रोफाइल जानने की कोशिश करते हैं ताकि उसके अकाउंट में हो रहे ट्रांजेक्शन का पता लगाया जा सके. अगर बैंक को किसी भी नए अकाउंट पर किसी तरह की शंका होती है तो वो तुरंत इसकी जानकारी साइबर क्राइम यूनिट को देते हैं. ग्राहक की शिकायत पर भी कई बार दूसरे अकाउंट में गए पैसे को फ्रीज़ कर दिया जाता है, जिससे कई बार कई ग्राहकों का पैसा सुरक्षित हो जाता है.
कई राज्यों में फैला हुआ है गैंग
साइबर क्राइम पर ‘साइबर एनकाउंटर्स’ नाम से किताब लिखने वाले उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार बताते हैं कि झारखंड के जामताड़ा के अलावा अब ऐसे ठगों का नेटवर्क हरियाणा के नूंह, राजस्थान के अलवर और भरतपुर, उत्तर प्रदेश के मुथरा, कोसी और उत्तराखंड में देहरादून और महाराष्ट्र में फैल रहा है. वहीं दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो अब इस तरह के साइबर क्राइम अच्छी प्लानिंग के साथ किए जा रहे हैं, जिनमें पढ़े-लिखे और इंग्लिश बोलने वाले लड़के-लड़कियां भी शामिल हैं. इस तरह के पढ़े-लिखे गिरोह फरीदाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली में कॉल-सेंटर चला रहे हैं. जिनमें 1 लाख रुपये में उन्हें साइबर क्राइम कोर्स करवाया जाता है जिसके बाद वो ठगी करके लाखों रुपये कमाते हैं. गृह मंत्रालय की तरफ से जारी 2023 के आंकड़ों पर नजर डालें तो टॉप-20 साइबर क्राइम के मामलों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश का नाम सबसे ऊपर है, इसके बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक आदि का नंबर आता है.
Written By: Harsh Srivastava