चंद्रमा से चंद कदम दूर चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में उतरने से पहले आज लैंडर विक्रम ने सफलतापूर्वक ऑर्बिटर से उल्टी दिशा में चलना शुरू किया।
आज इसरो ने सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर प्रणोदन तकनीक का उपयोग कर ये प्रक्रिया पूरी की और इसे करने में चार सेकंड का समय लगा।
चंद्रयान-2 से अलग होने के बाद करीब 20 घंटे से विक्रम लैंडर अपने ऑर्बिटर की कक्षा में ही चक्कर लगा रहा था लेकिन, अब यह ऑर्बिटर से उल्टी दिशा में जाएगा।
इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में डिऑर्बिट कहा जाता है। इसरो के वैज्ञानिकों ने विक्रम को आज सुबह 8:50 बजे चांद के बेहद करीब वाली कक्षा 104 गुणा 128 किमी के दायरे में दाखिल करा दिया है।
दूसरा और अंतिम डी ऑरबिट मिशन कल यानि 4 सितंबर को सुबह साढ़े तीन बजे से साढ़े चार बजे के बीच पूरा किया जाएगा।
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने से पहले आज निचली कक्षा में ले जाने का दूसरा और अंतिम चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया।
इसरो ने बताया कि चंद्रयान को निचली कक्षा में दूसरी बार ले जाने की प्रक्रिया लैंडर पर लगी प्रणोदक प्रणाली के जरिए आज सुबह 3 बजकर 42 मिनट पर हुई और पूर्व निर्धारित योजना के तहत किया गया।
यह प्रकिया कुल नौ सेकेंड की रही। आज की प्रक्रिया से विक्रम लैंडर के चंद्रमा के सतह पर उतरने के लिए आवश्यक कक्षा हासिल कर लिया गया है।
योजना के तहत ‘विक्रम’ और उसके भीतर मौजूद रोवर ‘प्रज्ञान’ के सात सितंबर को देर रात 1:30 से 2:30 बजे के बीच चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है।
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