कोरोना को मात देकर इस IPS अफसर ने छेड़ी अनोखी मुहिम
आमतौर पर खाकी वर्दी और पुलिस का जिक्र आए तो अपराध और अपराधी से मुकाबला करती पुलिस की तस्वीर आंखों के सामने उभर आती है, मगर मध्यप्रदेश में कोरोना से जंग जीतने वाले भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी राजा बाबू सिंह ने समाज को जगाने की मुहिम छेड़ दी है। वे सोशल मीडिया और लोगों से सीधे संवाद कर कोरोना महामारी से बचाव के तरीके और अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।
बीमारी से बचने के तरीके बताने का अभियान शुरू
राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) राजा बाबू सिंह पिछले दिनों कोरोना से संक्रमित हो गए थे और उन्हें उपचार के लिए दिल्ली ले जाया गया था। वे स्वस्थ होकर लौटे हैं। अब उन्होंने लोगों को इस बीमारी से बचने के तरीके बताने का अभियान शुरू कर दिया है।
कोरोना वॉरियर राजा बाबू सिंह अपने परिचित लोगों को सोशल मीडिया पर लगातार संदेश भेज रहे हैं और मास्क का उपयोग करने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने पर जोर दे रहे हैं। इतना ही नहीं लगातार गर्म पेय का उपयोग करने के अलावा योग आदि की सलाह दे रहे हैं।
भारत सरकार द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों का करें पालन
एक तरफ जहां सिंह सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं तो वहीं आम जनों से भी संवाद कर रहे हैं। उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि वे इस बीमारी की गिरफ्त में कैसे आ गए, उन्हें तब पता चला जब उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था। ऐसा ही हर आम व्यक्ति के साथ होता है। वह समझ ही नहीं पाता कि कब कोरोनावायरस शरीर से होता हुआ फेफड़ों तक पहुंच गया है और उसका संक्रमण तेजी से बढ़ने लगता है, इसलिए शुरुआती लक्षण नजर आएं तो परीक्षण कराना चाहिए और ऐसा हो ही न तो उसके लिए जरूरी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों का पालन करें।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजा बाबू की पहचान महकमे में समाज सुधारक के तौर पर बनी हुई है। वे गांधी, गीता के विचारों को जन जन तक पहुंचाने के साथ गाय के संरक्षण के लिए अभियान चलाए हुए हैं। कोरोना महामारी की शुरुआत में ग्वालियर में पदस्थ रहते हुए उन्होंने ड्यूटी करने वाले पुलिस जवानों के लिए गर्म पानी, काढ़ा और चाय का भी इंतजाम किया था और वे खुद उन जवानों के बीच पहुंचकर इस गर्म पेय का वितरण करते थे और इसके उपयोग की सलाह भी देते थे ताकि कोरोना के संक्रमण से बचाव रहे।
बीमारी से उबरने के बाद आईपीएस अधिकारी सिंह ने बताया है कि वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जनसामान्य के बीच पहुंचकर सीधे संवाद करने की योजना पर काम कर रहे हैं। ताकि लोगों को यह बताया जा सके कि यह बीमारी किस तरह अपनी गिरफ्त में लेती है, उसके लक्षण क्या हेाते हैं और किस तरह की लापरवाही मुसीबत का कारण बन सकती है।
भाषाओं के अच्छे जानकार के साथ बेहतर कम्युनिकेटर के तौर पर पहचाने जाने वाले आईपीएस अधिकारी का मानना है कि लोगों को बीमारी से दूर रखने का बड़ा हथियार जागृति है, उनके दिमाग में यह बात बैठानी होगी कि बीमारी से बचना है, अपने साथ परिजनों, स्वजनों को स्वस्थ रखना है तो उन्हें क्या करना होगा। ऐसा तभी संभव है जब आमजन तक संदेश प्रभावी तरीके से पहुंचाया जाए।
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