इंटेलिजेंट लोग नहीं कर पाते सबसे ज्यादा कमाई? जानें क्यों

0

क्या ज्यादा वेतन का मतलब यह है कि आप ज्यादा होशियार या स्मार्ट हैं. ऐसा जरूरी नहीं है. नए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में पता चला है कि दुनिया के शीर्ष एक प्रतिशत सबसे ज्यादा कमाई करने वाले लोगों उन लोगों से कम बुद्धिमान पाए गए हैं जो कम वेतन पाते हैं. किसी संगठन में सबसे स्मार्ट और सबसे मेहनती कर्मचारी होने का यह मतलब नहीं है कि वह कंपनी में सर्वाधिक वेतन पाने वाला ही व्यक्ति हो. लेकिन ऐसा क्यों है इस पर स्वीडन में हुए इस अध्ययन ने जवाब देने का प्रयास किया है. जिसमें उन्होंने पाया है कि एक वेतन की बाद आगे का वेतन स्तर ज्यादा बुद्धिमानी नहीं दर्शाता है.

एक स्तर तक ही साथ बढ़ते हैं दोनों…

यूरोपियन सोशियोलॉजीकल रीव्यू में प्रकाशित अध्ययन में पाया है कि यह सब केवल एक ही हद तक लेकिन सही है. स्वीडन की लिंगोपिंग यूनिवर्सिटी में एनालिटिकल सोशियोलॉजी के सीनियर एसोसिएट प्रोफोसर मार्क क्यूश्नीग की अगुआई में हुए अध्ययन में पाया गया है कि बुद्धिमत्ता के स्तर तक उसके साथ वेतन बढ़ता है.

लेकिन सिखाया कुछ और ही जाता है…

अध्ययन में तो यह पाया गया है कि शीर्ष एक फीसद वेतन पाने वालों का बुद्धिमत्ता के मामले में बाकी ज्यादा (लेकिन उनसे कम) वेतन वालों की तुलना खराब प्रदर्शन रहा. सामान्य रूप से कहा जाता है कि स्मार्ट होने से ज्यादा पैसा मिलता है. स्कूल कॉलेजों मे भी यह बताया जाता है कि ज्यादा तेज दिमाग वाले ज्यादा सफल करियर पाते हैं.

ज्यादा वेतन का मतलब ज्यादा बुद्धिमानी नहीं…

शोधकर्ताओं ने बताया कि एक वेतन सीमा के बाद ज्यादा वेतन संज्ञानात्मक क्षमता को नहीं दर्शाता है. उन्होंने ऐसे की प्रमाण नहीं पाए कि जो नौकरी में शीर्ष वेतन वाले पद वाले कर्मचारी अपने से आधी तनख्वाह पाने वालों से भी ज्यादा बुद्धिमान होते हैं. उन्होंने पाया की बहुत ज्यादा व्यवसायी सफलता का संबंध क्षमता की तुलना पारिवारिक संसाधनों या भाग्य से ज्यादा होता है.

इमोशनल इंटेलिजेंस का भी महत्व…

शोध में बताया गया है कि वे लोग जो “संभ्रांत” परिवारों की पृष्ठभूमि से होते हैं उन्होंने बहुत अच्छा वेतन या विशेष लाभ मिलने की संभावना होती है. इसमें यह भी बताया गया है कि सबसे बुद्धिमान कर्मचारी सबसे ज्यादा वेतन पाने वाला कर्मचारी नहीं होता है क्योंकि वह उसमें सामान्य रूप से इमोशनल इंटेलिजेंस कम होती है. और करियर में आगे बढ़ने के लिए प्रायस अपने साथियों और वरिष्ठों के बीच पसंद आने की भी जरूरत होती है.

कैसे किया गया अध्ययन…

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने संज्ञानात्मक क्षमता की विश्लेषण किया गया है जिसमें 18-19 की उम्र और 35-45 केबीच के उम्र 59000 पुरुषों को प्रतिभागी बनाया गया. इसमें एक मानक इंटेलिजेंस टेस्ट लिया गया जिसमें तकनीकी समय, तर्क आदि की समझ को परखा गया. इसमें महिलाओं को इसलिए शामिल नहीं किया गया क्योंकि इसमें 1971-77 के सैन्य सेवाओं के आंकड़े भी शामिल किए थे जिसमें महिलाओं के आंकड़े नहीं थे.

कार्य का चुनाव…

सबसे स्मार्ट लोग सबसे ज्यादा वेतन नहीं पाते हैं इसकी वजह यह भी है कि वे किस तरह का काम चुनते हैं. आमतौर पर देखा गया है कि बुद्धिमान लोग शोधकार्य या शिक्षण कार्य जैसे पदों पर काम करना पसंद करते हैं जो कि सबसे ज्यादा वेतन वाले पद नहीं होते हैं. इसके अलावा सबसे ज्यादा संज्ञानात्मक क्षमता वाले लोग जो ज्यादा वेतन पा रहे हैं, ऐसी दलील देते हैं कि उन्हें ज्यादा पैसे कमाने के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं होती है.

शोध बताया है कि इस अध्ययन के नतीजे पूरी दुनिया के लिए चिंता पैदा करने वाले हैं क्योंकि ये एक तरह से चेतावनी के संकेत हैं कि दुनिया में अमीरों और समाज के बाकी वर्गों के बीच आर्थिक असमानताएं क्यों बढ़ रही है. इसके अलावा बहुत ही प्रतिष्ठित नौकरियो में सबसे ज्यादा आर्थिक और राजनैतिक शक्तियां छिपी होती हैं और उनके निर्णय बहुत प्रभावी होते हैं.

Also Read: Global Warming: डूब जाएंगे शहर, भविष्य की किसी को परवाह नहीं: रिपोर्ट

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More