इस फैशन डिजाइनर के जीने का तरीका है अलग, भजन से होती है दिन की शुरुआत

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ग्लैमर और चकाचौंध की दुनिया में पहुंचने के बाद लोगों में इतने बदलाव हो जाते हैं कि उन्हें समाज को लेकर कोई भी चिंता नहीं रहती। लेकिन ग्लैमर पैसा और चकाचौध भरी दुनिया में पहुंचने के बाद भी एक ऐसा इंसान है जो अपने वसूलों पर टिका हुआ है। औऱ जैसे पहले कभी जब शोहरत और पैसा न होने पर हुआ करता था वैसे आज भी है।

हम बात कर रहे हैं देश के टॉप डिजाइनर्स में शुमार किए जाने वाले मनीष मल्होत्रा की। मनीष मल्होत्रा किसी पहचान के मोहताज नहीं है। 50 साल के हो चुके मनीष खुद अब तक सिंगल हैं।इस ग्लैमरस डिजाइनर का डेली रुटीन आपको हैरत में डाल सकता है। मनीष मल्होत्रा का जन्म 5 दिसंबर, 1966 को हुआ था। उनकी एजुकेशन मुंबई में हुई।

मनीष एक साधारण बिजनेस क्लास फेमिली से ताल्लुक रखते हैं। मनीष का डेली रुटीन ग्लैमर वर्ल्ड के ज्यादातर लोगों से अलग है। वे सुबह 7 बजे उठ जाते हैं। उसके बाद भजन सुनते हैं। फिर चाय पीते हैं और अपने पैरेंट्स के साथ बैठकर न्यूजपेपर्स पढ़ते हैं। इसके बाद वे नहा-धोकर रोज पूजा-पाठ करते हैं और फिर नाश्ता करने के बाद काम पर निकल जाते हैं।

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वे देर शाम तक घर लौटते हैं। उन्हें टीवी देखने का शौक है, इसलिए सोने से पहले टीवी पर कुछ न कुछ जरूर देखते हैं। मनीष अपने घर पर गणपति स्थापना भी करते हैं।मनीष खुद को बहुत इमोशनल मानते हैं, लेकिन वे अपने इमोशंस के बारे में किसी को बताते नहीं हैं। यही वजह है कि उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में ज्यादा कुछ लिखा-पढ़ा नहीं गया है।

मनीष बचपन से फिल्मों के शौकीन रहे हैं, हालांकि उस समय उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि एक दिन वे बॉलीवुड एक्टर्स के इतने करीब होंगे। उनके माता-पिता उन्हें फिल्में देखने से रोकते थे और पढ़ाई पर ध्यान लगाने के लिए कहते थे। लेकिन मनीष फिल्में देखने के लिए रोते थे। यही नहीं, इमोशनल होने के कारण वे किसी-किसी सीन पर रो भी पड़ते थे।

मनीष मल्होत्रा पढ़ाई में तो साधारण थे, लेकिन ड्रॉइंग, पेंटिंग और स्केचिंग में बहुत अच्छे थे। साइंस सब्जेक्ट्स के पेपर में उन्हें डायग्राम के कारण नंबर मिल जाते थे, हालांकि फिजिक्स, कैमिस्ट्री उन्हें पसंद नहीं थी। मैथ्स से उन्हें बड़ा डर लगता था। नंबर्स को लेकर उनका यह डर आज भी कायम है। मनीष कुछ खास काम करना चाहते थे, लेकिन क्या करना है, वे यह तय नहीं कर पा रहे थे।

वे कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद पॉकेटमनी के लिए मॉडलिंग करने लगे। तब उन्होंने सिंटेक्स, गोल्ड स्पॉट, फ्रूटी, अजय टूथपेस्ट, फिलिप्स जैसे ब्रांड्स के लिए मॉडलिंग की थी। यह 80 के दशक की बात है। उस समय वे 19 साल के थे। उन्हें पहली कमाई के रूप में ढाई हजार रुपए का चेक सिंटेक्स का विज्ञापन करने पर मिला था। अपनी यह पहली कमाई उन्होंने मां के हाथों में सौंप दी थी।

मनीष को फिल्मों से लगाव था उन्हें ग्लैमर से भरी जि़ंदगी बेहद पसंद थी। वे फिल्मों का हिस्सा बनना चाहते थे। फिर वे डायरेक्शन के बारे में भी सोचने लगे। वे एक बार फिल्म की शूटिंग देखने गए, पर उन्हें उसमें मजा नहीं आया। मनीष मल्होत्रा को कपड़ों से भी लगाव था। उनकी ड्रॉइंग भी अच्छी थी। इसलिए उन्होंने डिजाइनिंग के बारे में सोचा। वे एक बुटिक से जुड़ना चाहते थे।

जब उनके मम्मी-पापा को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने यह कहकर आपत्ति जताई कि तुम सेल्सब्वॉय कैसे बन सकते हो। तब मनीष मल्होत्रा ने कहा कि पहले मुझे शुरुआत तो करने दीजिए। तब मां ने उनका साथ दिया। इसके बाद वे एक बुटिक से जुड़ गए। यह काम उन्हें इतना पसंद आया कि उन्होंने इसी में कैरियर बनाने का निर्णय ले लिया। मनीष मां को अपना इंस्पिरेशन कहते हैं।

डिजाइनर बनने के लिए फॉर्मल ट्रेनिंग और डिग्री या डिप्लोमा की जरूरत होती है। अत: मनीष मल्होत्रा ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के लिए निफ्ट में एडमिशन लेने की कोशिश की। लेकिन तब तक वहां फॉर्म भरने की डेट निकल चुकी थी। अब उस कोर्स के लिए उन्हें अगले साल तक का इंतजार करना पड़ता। इसलिए उन्होंने सोचा कि खाली बैठने या कहीं और काम करने के बजाय क्यों न सीधे अपना काम शुरू कर दूं।

इसके बाद कुछ समय बुटिक में काम करने के बाद उन्होंने अपने घर पर ही दो टेलर्स के साथ काम शुरू कर दिया।मनीष को फिल्मों से लगाव तो था ही। उन्होंने सोचा कि क्यों न फिल्मों से सीधे जुड़ा जाए। 1990 में 25 साल की उम्र में उनकी बॉलीवुड में एंट्री हुई। तब उन्होंने फिल्म स्वर्ग में जूही चावला के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन किया था। इसके बाद 1993 में उन्होंने फिल्म गुमराह में श्रीदेवी के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग की। मनीष को असली पहचान मिली 1995 में, फिल्म रंगीला से, जिसमें उन्होंने उर्मिला मातोंडकर का कास्ट्यूम डिजाइन किया था।

अब तो वे कई बॉलीवुड हस्तियों के पसंदीदा डिजाइनर हैं। मनीष की एक खासियत है कि वे किसी भी फिल्म के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन करने से पहले पूरी स्क्रिप्ट पढ़ते हैं। उन्होंने अपने नाम पर एक लेबल लॉन्च किया है। कुछ समय तक टीवी के लिए एक शो भी किया।

माइकल जैक्सन से मुलाकात और उनके लिए एक आउटफिट बनाने के अवसर को वे अपने जीवन के सबसे यादगार लम्हों में से एक मानते हैं। बता दें कि मनीष इस वक्त करण जौहर की बायोग्राफी को लेकर चर्चा में हैं। करण जौहर का कहना है कि मनीष उनके बेस्ट फ्रेंड्स फॉरऐवर कहते हैं। दोनों की दोस्ती 23 साल पुरानी है। उनकी पहली मुलाकात 1993 में फिल्म गुमराह के सेट पर हुई थी

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