पिछले साल भारत-नेपाल के बीच हुए सीमा विवाद के कारण इतिहास में पहली बार दोनों देशों के रिश्तों में गर्माहट में कमी आने के बाद अब भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने नवंबर में पड़ोसी देश का दौरा करेंगे। यह घोषणा नेपाल सेना ने बुधवार को की।
पिछले साल नवंबर में भारत द्वारा कुछ विवादित क्षेत्र को देश में शामिल करते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी करने के बाद यह विवाद शुरू हुआ था।
तब से दोनों पक्षों की ओर से किसी भी उच्चस्तरीय अधिकारियों ने दौरा नहीं किया। वहीं काठमांडू विवाद को सुलझाने के लिए विदेश सचिव स्तर पर भारत के साथ सीमा वार्ता आयोजित करने की तारीख की तलाश में है, लेकिन इसे लेकर भारत थोड़ा कम उत्साहित नजर आया।
हांलाकि, नरवाने की यात्रा की तारीख दोनों पक्षों द्वारा तय की जानी बाकी हैं, नेपाल सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि यह दौरा उनके नेपाली समकक्ष जनरल पूर्ण चंद्र थापा के निमंत्रण पर तीन नवंबर को हो सकती है।
भारत द्वारा विवादित क्षेत्र में 8 मई को एक नया ट्रैक खोलने के बाद नवंबर में दोनों के बीच विवाद और बढ़ गया था।
बाद में नरवाने ने नेपाल पर आरोप लगाया कि वह किसी के इशारे पर भारत के खिलाफ सीमा मुद्दे को उठा रहा है और उन्होंने चीन की ओर इशारा किया था।
भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा लिपुलेख क्षेत्र में एक ट्रैक खोलने के एक हफ्ते बाद उनका बयान आया है। इस क्षेत्र को नेपाल अपना क्षेत्र बता रहा है।
नेपाल का कहना है कि साल 1816 में तत्कालीन ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल सरकार के बीच हस्ताक्षरित सुगौली की संधि के अनुसार, कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा उसके क्षेत्र का हिस्सा हैं।
भारत ने कहा था कि कोविड महामारी खत्म होने के बाद इस मुद्दे पर बातचीत संभव है।
सेना ने एक बयान में कहा गया कि इस यात्रा को नेपाल सरकार ने 3 फरवरी, 2020 को मंजूरी दी थी, लेकिन दोनों देशों में लॉकडाउन के कारण इसे स्थगित कर दिया गया।
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