लखनऊ में हैं देश का सबसे ऊंचा घंटाघर, बनावट लंदन की बिग बेन जैसी, जानिए क्लॉक टावर की खासियत
नवाबों का शहर कही जाने वाली यूपी की राजधानी लखनऊ में वैसे तो कई ऐसी इमारतें बनी हैं, जिनका अपना अलग ही इतिहास रहा है. इन इमारतों को देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक भी आते हैं. लेकिन, आपको पता है कि यहां एक ऐसी भी इमारत है, जिसकी बनावट बिल्कुल लंदन की बिग बेन जैसी है. हम बात कर रहे हैं देश के सबसे ऊंचे और पुराने घंटाघर (क्लॉक टावर) की, जो लखनऊ के हुसैनाबाद में बना हुआ है.
तो आइये जानते हैं घंटाघर से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में…
घंटाघर का इतिहास…
लखनऊ के घंटाघर को नवाब नसीर उद्दीन हैदर ने बनवाया था. वर्ष 1881 में सर जॉर्ज कूपर लखनऊ आये थे, जिनके स्वागत में उन्होंने घंटाघर को बनवाया था. सर जॉर्ज कूपर संयुक्त राज्यों के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर थे. उस समय नवाब नसीर उद्दीन हैदर ने 1 लाख 75 हजार रुपये लगाकर घंटाघर को बनवाया गया था. 6 साल बाद वर्ष 1887 में घंटाघर का निर्माण कार्य पूरा हुआ था. बता दें पहले के जमाने में घंटाघर के बताये वक्त के हिसाब से पूरा शहर चलता था, वहीं आज भी घंटाघर सटीक समय की जानकारी देता है.
जानिए क्लॉक टावर की खासियत…
देश का सबसे ऊंचा घंटाघर लखनऊ में मौजूद है. इसकी ऊंचाई 221 फीट है. इसका पेंडुलम 14 फीट लंबा और डेढ़ इंच मोटा है. इसकी सुइयों को लंदन से मंगवाया गया था. बड़ी सुई 6 फीट और छोटी सुई साढ़े 4 फीट लंबी है. घंटाघर के अंदर एक हॉल और एक कमरा भी बना हुआ है. ऊपर जाने के लिए अंदर सीढ़ियां भी हैं.
क्लॉक टावर की खास बात…
लखनऊ के घंटाघर की घड़ी में हर हफ्ते चाबी भरी जाती है. इसे भरने के लिए दो लोग सीढ़ियों से ऊपर जाते हैं. वर्तमान में घंटाघर की घड़ी का पेंडुलम उतार दिया गया है. हालांकि, घंटाघर आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है. दूर-दराज से लोग जब भी लखनऊ आते हैं तो घंटाघर की खूबसूरती में खो जाते हैं.
यहां देर रात तक लोगों की भीड़ दिखाई देती है. आसपास खाने-पीने की दुकाने भी लगी रहती है. यहां आकर लोग फोटोशूट भी करवाते हैं और रील्स भी बनाते हैं.
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